भारतीय रेल में अपराध नियंत्रण और यात्री सुरक्षा पर नए सिरे से ध्यान — जीआरपी प्रमुखों का छठा अखिल भारतीय सम्मेलन संपन्न
यह महत्वपूर्ण सम्मेलन भारतीय रेलवे में बढ़ती आपराधिक चुनौतियों से निपटने और करोड़ों दैनिक यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु समन्वित प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम रहा। सम्मेलन का मुख्य विषय रहा बुद्धिमत्ता साझा करने की व्यवस्था को मजबूत करना, संयुक्त अभियान रणनीतियाँ बनाना, और बदलते आपराधिक तौर-तरीकों से निपटने हेतु एजेंसियों के बीच तालमेल बढ़ाना

भारतीय रेल में अपराध नियंत्रण और यात्री सुरक्षा पर नए सिरे से ध्यान — जीआरपी प्रमुखों का छठा अखिल भारतीय सम्मेलन संपन्न
नई दिल्ली- रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) के तत्वावधान में आयोजित छठा अखिल भारतीय सरकार रेलवे पुलिस (जीआरपी) प्रमुख सम्मेलन नई दिल्ली में सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। इस उच्च स्तरीय सम्मेलन की अध्यक्षता आरपीएफ के महानिदेशक मनोज यादव ने की, जिसमें विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के जीआरपी के डीजीपी, एडीजीपी और वरिष्ठ अधिकारी, साथ ही रेल मंत्रालय के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
यह महत्वपूर्ण सम्मेलन भारतीय रेलवे में बढ़ती आपराधिक चुनौतियों से निपटने और करोड़ों दैनिक यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु समन्वित प्रयासों को मजबूत करने की दिशा में एक अहम कदम रहा। सम्मेलन का मुख्य विषय रहा बुद्धिमत्ता साझा करने की व्यवस्था को मजबूत करना, संयुक्त अभियान रणनीतियाँ बनाना, और बदलते आपराधिक तौर-तरीकों से निपटने हेतु एजेंसियों के बीच तालमेल बढ़ाना।
यात्रियों को धोखाधड़ी और चोरी के सामान्य तरीकों से अवगत कराने के लिए जागरूकता अभियानों को तेज करने पर विशेष बल दिया गया। इसके साथ ही Rail Madad पोर्टल पर दर्ज की गई यात्री संपत्ति चोरी की शिकायतों को औपचारिक प्राथमिकी (FIR) में बदलने की प्रक्रिया को सहज बनाने का निर्णय लिया गया, जिससे अपराध की रोकथाम और अपराधियों की पहचान में वृद्धि हो सके।
सम्मेलन में अंतरराज्यीय संगठित आपराधिक नेटवर्क को तोड़ने के लिए सर्विलांस बढ़ाने, राज्य स्तर पर समन्वित कार्रवाई और फेसियल रिकग्निशन सिस्टम जैसे तकनीकी उपायों को अपनाने पर विस्तार से चर्चा हुई। अलग-अलग राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की जीआरपी इकाइयों के बीच एकीकृत प्रतिक्रिया प्रणाली विकसित करने की आवश्यकता पर भी बल दिया गया ताकि क्षेत्राधिकार की खामियों का फायदा अपराधी न उठा सकें।
महिला यात्रियों के खिलाफ बढ़ते अपराधों पर चिंता जताते हुए सम्मेलन में निशुल्क गश्त, रेलवे स्टेशनों और कोचों में सीसीटीवी कैमरों की स्थापना और ‘मेरी सहेली’ टीमों की तैनाती जैसे सख्त निवारक उपायों पर सहमति बनी
रेलवे परिसर का नशा तस्करी और अवैध गतिविधियों के लिए उपयोग किए जाने की प्रवृत्ति पर भी चर्चा हुई। इसे रोकने के लिए तत्काल खुफिया जानकारी और सघन जांच की रणनीतियाँ अपनाने की बात कही गई। इंटेलिजेंस ब्यूरो द्वारा प्रस्तुत एक अहम रिपोर्ट में रेलवे के संवेदनशील प्रतिष्ठानों पर आतंकी खतरे की आशंका और सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करने की आवश्यकता को उजागर किया गया।
सम्मेलन में बच्चों की सुरक्षा पर भी चर्चा हुई, जिसमें रेलवे परिसर में पाए जाने वाले असुरक्षित और तस्करी के शिकार बच्चों की पहचान और पुनर्वास की कार्ययोजनाओं को मजबूती देने पर विचार किया गया।
सम्मेलन के समापन पर महानिदेशक आरपीएफ श्री मनोज यादव ने कहा कि भारतीय रेलवे के विशाल नेटवर्क पर अपराध नियंत्रण केवल किसी एक एजेंसी की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि यह एक सामूहिक मिशन है, जिसमें समन्वय, सहयोग और साझा खुफिया जानकारी की आवश्यकता होती है। आज जीआरपी और आरपीएफ नेतृत्व ने जिस एकजुटता का प्रदर्शन किया है, वह हमारे संकल्प को दर्शाता है कि हम हर यात्री, हर बच्चे और रेलवे नेटवर्क के हर कोने को अपराध मुक्त और सुरक्षित बनाएंगे।”
सम्मेलन ने इस बात को दोहराया कि आरपीएफ और जीआरपी बल भारतीय रेलवे को अपराध के प्रति शून्य सहनशीलता वाला क्षेत्र बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि यह राष्ट्र की जीवन रेखा बनी रहे।