मातृभाषा का ज्ञान बिना शिक्षा अधूरी है- सुनील कुमार दे
निजी स्तर से झारखंड में बंगला भाषा को बचाने का काम तेजी से शुरू पोटका के शंकर दा गांव में 31 महिला समूह के बीच 28 वां अपुर पाठशाला खोला गया

मातृभाषा का ज्ञान बिना शिक्षा अधूरी है- सुनील कुमार दे
पोटका – पढ़ाई लिखाई कर के आप जितने भी बड़े हो जाओ,डॉक्टर,इंजीनियर,नेता,मंत्री,आई ए एस अफसर बन जाओ,अच्छा केरियर बना के खूब रुपये कमाओ लेकिन अगर आप को अपनी मातृभाषा का ज्ञान नहीं है तो आप की शिक्षा अधूरी है।अगर आपकी मातृभाषा के प्रति प्रेम नहीं है तो आप अभागा हैं मातृभाषा अपनी माँ का समान है।जैसे माँ का जगह मौसी नहीं ले सकती है उसी प्रकार मातृभाषा का जगह दूसरा कोई भी भाषा नहीं ले सकती है।मातृभाषा का कोई विकल्प नहीं, मातृभाषा का कोई जोड़ नहीं मातृभाषा मां का दूध के समान है।जैसे मां का दूध पीकर बच्चे हृष्ट-पुष्ट होते हैं उसी प्रकार हम भी मातृभाषा से ही आगे बढ़ सकते हैं।इसलिए कुछ भी करो,दस भाषा सीखो लेकिन अपनी मातृभाषा को भुलाकर नहीं, छोड़कर नहीं।इसलिए जिसकी जो मातृभाषा है उसको सीखें और सम्मान करें क्योंकि मातृभाषा के बिना शिक्षा अधूरी है।
पोटका – निजी स्तर से झारखंड में बंगला भाषा को बचाने का काम तेजी से शुरू पोटका के शंकर दा गांव में 31 महिला समूह के बीच 28 वां अपुर पाठशाला खोला गया
झारखंड बंगला भाषा उन्नयन समिति”और माताजी आश्रम हाता के संयुक्त तत्वावधान में “बांग्ला जनजागरण कर्म सूची” के तहत आज शंकरदा गांव के सुभाष चबूतरा परिसर में शंकरदा एवं काशीडीह गांव के कुल 31 महिला समूहों के अंश ग्रहण के माध्यम से “मातृ शक्ति के द्वारा मातृभाषा का प्रसार” अभियान का कार्यक्रम महिलाओं की विपुल उपस्थिति में संपन्न हुआ।
कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती की प्रतिकृति पर पुष्पांजली एवं अगरबत्ती जलाकर तथा साहित्यिक सह समाजसेवी सुनील कुमार दे के द्वारा स्वरचित सरस्वती बंदना के माध्यम से किया गया। तत्पश्चात गायत्री परिवार के अनिल कांत भकत के द्वारा सभी अतिथियों को शुभ चंदन का टीप लगाकर स्वागत किया गया।स्वागत भाषण शिक्षक सह साहित्यकार विकास कुमार भकत ने दिया।
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए साहित्यिक सह भाषा संग्रामी सुनील कुमार दे ने कहा,,मातृभाषा का ज्ञान बिना शिक्षा अधूरी है इसलिए सभी को मातृभाषा सीखना चाहिए।सीखने के लिए कोई उम्र नहीं होती है समाज सेवी जनमेजय सरदार ने कहा कि झारखंड में अविलंब मातृभाषा में शिक्षा सरकार लागू करें तथा सभी स्थानीय भाषाओं को सम्मान दें।समिति के सचिव राजेश राय ने कहा कि बंगला भाषा को बचाने के लिए झारखंड में जन आंदोलन शुरू कर दिया गया है और यह आंदोलन गांव से ही शुरू हुआ है।समाज सेवी करुणामय मंडल ने कहा कि महिलाओं के बीच बंगला भाषा की शिक्षा देने के लिए ऐतिहासिक पहल किया गया है।पहले माताएं और बहने सीखेंगे उसके बाद अपने बच्चे को सीखाएंगे।इसके अलावे सुबोध गोराई, कृष्ण पद मंडल,भबतारण मंडल,रवि कांत भकत आदि ने भी अपना अपना महत्वपूर्ण विचार रखें।उसके बाद गाजुड़ संस्था की ओर से सभी महिला समूहों को वर्ण परिचय पुस्तक निशुल्क वितरण किया गया।
कार्यक्रम में भूतपूर्व शिक्षक समीर कुमार गोप अपने सौ से अधिक ट्यूशन छात्र छात्राओं को प्रति शनिवार बांग्ला शिक्षा देने की घोषणा किए। उन्हें भी किताब दिया गया।
अंत में धन्यवाद ज्ञापन राजू नारायण भकत ने दिया।कार्यक्रम का कुशल संचालन करुणामय मंडल ने किया।इस अवसर पर मृणाल पाल, बलराम गोप,अनंग भकत,अनिल कांत भकत,गणेश भकत,बिनय कृष्ण दास,तरनी सेन गोप,समीर कुमार गोप,कालिदास गोप, बिमल कुमार भकत,रमेश गोप,राजू नारायण भकत,बैकुंठ भकत, डॉ.प्रभाकर मंडल,चंडी चरण भकत,चयन कुमार मंडल, सोमेन भकत, राजकुमार भकत, तारापद गोप,बिष्णु पद गोप,छकू माझी, दीपाली रानी भकत,वर्षा रानी भकत,रूमा भकत,सुशीला गोप,अनिता गोप,जयंती भकत,करुणा भकत,तनुजा भकत,माधुरी भकत,मेनका गोप के अलावे अनेक महिलाएं उपस्थित थे।