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बोकारो में राज्यपाल संतोष गंगवार ने सरयू राय की तारीफ की  बोले राय जी ने बड़ा काम अपने हाथ में लिया नदियों की स्वच्छता के लिए जनभागीदारी बेहद जरूरी- राज्यपाल

दामोदर के किनारे बसे उद्योग-धंधे भस्मासुर बन रहे थे, दामोदर के लिए, अब बदली है स्थिति- सरयू राय

बोकारो में राज्यपाल संतोष गंगवार ने सरयू राय की तारीफ की  बोले राय जी ने बड़ा काम अपने हाथ में लिया नदियों की स्वच्छता के लिए जनभागीदारी बेहद जरूरी- राज्यपाल

दामोदर के किनारे बसे उद्योग-धंधे भस्मासुर बन रहे थे, दामोदर के लिए, अब बदली है स्थिति- सरयू राय

जिन स्थानों पर दामोदर महोत्सव का आयोजन होता है, वहां सरकार सुरम्य वाटर फ्रंट बनाए- सरयू राय

बोकारो के लोग और संवेदनशील होकर नदियों को साफ-सुथरा रखें- श्वेता सिंह

हमें लौटानी होगी नदियों की जमीन, उनका पुराना स्वरुप- प्रो. अंशुमाली

झारखंड में 45 स्थानों पर आयोजित हुआ देवनद-दामोदर महोत्सव- अंशुल शरण

बोकारो-  झारखंड के राज्यपाल संतोष गंगवार ने कहा है कि इन दिनों देश भर में नदियां उथली हो रही हैं और उनकी सफाई नहीं होती। इसी कारण से देश की नदियां समस्याग्रस्त हुई हैं। राज्यपाल ने कहा कि वह जब अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में कुछ दिनों के लिए जल संसाधन मंत्री थे  तब उन्होंने पाया कि देश में नदियों को लेकर जितना काम होना चाहिए था, नहीं हुआ। उन्हें यह देख-जान कर अच्छा लगा कि सरयू राय ने एक बड़ा काम अपने हाथ में लिया है। उन्हें बधाई।

यहां तेलमच्चो पुल के नीचे युगांतर भारती के तत्वावधान में आयोजित देवनद दामोदर महोत्सव-गंगा दशहरा के मौके पर आयोजित समारोह के मुख्य अतिथि के रुप में बोलते हुए राज्यपाल ने कहा कि देश भर की नदियों की स्थिति खराब हुई है। अब यह जरूरत महसूस की जा रही है कि नदियों के लिए हम सभी लोग मिल कर काम करें। सिर्फ दामोदर के लिए ही नहीं, सभी नदियों के लिए।

राज्यपाल ने कहा कि आज का दिन विशेष है। विश्व पर्यावरण दिवस और गंगा दशहरा, दोनों एक साथ आयोजित हो रहे हैं। एक तरफ दुनिया भर में आज लोग धरती, जंगल, नदियाँ और प्रकृति को बचाने की बातें कर रहे हैं, तो दूसरी तरफ हम सनातन परंपरा में गंगा अवतरण को स्मरण कर रहे हैं। गंगा दशहरा हमें याद दिलाता है कि हमारे पूर्वजों ने हजारों साल पहले ही नदियों को मां कहा, उनके जल को मोक्षदायिनी माना। यहां गंगा तो नहीं, लेकिन दामोदर है। और जैसे गंगा उत्तर भारत की आत्मा है, वैसे ही दामोदर झारखंड की जीवनरेखा है और दामोदर भगवान विष्णु के सहस्र नामों में से भी एक है।

राज्यपाल ने कहा कि युगांतर भारती ने पर्यावरण को जन आंदोलन बना दिया। इसके लिए युगांतर भारती को बधाई। वास्तव में इस संस्था ने बढ़िया काम किया है। दामोदर सिर्फ एक नद नहीं बल्कि झारखंड की जीवनरेखा है। इसी के किनारे बोकारो स्टील प्लांट और अन्य उद्योग लगे हैं। औद्योगिक विकास खूब हो रहा है लेकिन इस दौड़ में दामोदर नदी को कई दिक्कतों का सामना भी करना पड़ रहा है। ऐसे समय में सरयू राय जैसे जागरुक जनप्रतिनिधि और युगांतर भारती जैसे संगठन ने बढ़िया काम कर अपनी प्रभावी स्थिति दर्ज की है। सरयू राय ने दामोदर को बचाने के लिए लंबा आंदोलन छेड़ा। पदयात्राएं कीं लोगों को जगाया। उन्हें समझाया। अब परिणाम साफ दिख रहा है। दामोदर का पानी लोग इस्तेमाल कर रहे हैं। पहले से अब की स्थिति बदली है। नदियों की स्वच्छता संस्थाओं या सरकारों तक की ही जिम्मेदारी नहीं है। यह हम सभी नागरिकों की सामूहिक जिम्मेदारी है। एक वक्त गंगा भी बहुत खराब स्थिति में थी लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में गंगा की स्वच्छता हेतु व्यापक कार्य किया गया। अब तो लोग भी स्वच्छता को लेकर जागरुक हैं।

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और दामोदर बचाओ आंदोलन के प्रणेता सरयू राय ने कहा कि दामोदर भगवान विष्णु जी के सहस्त्र नामों में से एक है। जहां से दामोदर का उद्गम है, उसे हमारे अध्ययन दल के लोगों ने खोजा। खोजी स्थान से 25 किलोमीटर तक इस नद का नाम देवनद है। खलारी के बाद से इसका नाम दामोदर पड़ा

सरयू राय ने कहा कि दामोदर के 200 किलोमीटर लंबे क्षेत्र में बहुत सारे उद्योग-धंधे हैं। दामोदर के जल के कारण ही यहां उद्योगों का प्रादुर्भाव हो सका। अब यही उद्योग-धंधे भस्मासुर की तरह दामोदर को नष्ट करने पर उतारू हो गये थे। हम लोगों ने मूवमेंट चलाया। आप सभी का सहयोग मिला। अब स्थिति में काफी परिवर्तन आया है।
श्री राय ने कहा कि दामोदर के उदगम स्थल से पंचेत जलाशय तक 45 स्थानों पर देवनद-दामोदर महोत्सव मनाया जा रहा है। मुख्य कार्यक्रम यहां हो रहा है। इस तरह के महोत्सव का एकमात्र उद्देश्य जनजागरुकता है। लोग प्रकृति को समझें। दामोदर समेत अन्य नदियों के बारे में लोग जानें और इन्हें साफ-सुथरा रखने का प्रयास करें।
श्री राय ने कहा कि जिन-जिन जगहों पर हम लोग दामोदर महोत्सव का आयोजन करते हैं, वहां एक रिवर फ्रंट डेवलपमेंट की तरह विकास कार्य हो, अच्छा घाट बन जाए तो लोग वहां घूमने आ सकेंगे। हम लोग यहां तेलमच्चो के नीचे कार्यक्रम कर रहे हैं। इस स्थान को भी विकसित किया जा सकता है। यह एक सुरम्य स्थान बन जाएगा तो लोग यहां आया करेंगे।
बोकारो की विधायक श्वेता सिंह ने कहा कि दामोदर महोत्सव के लिए सरयू राय ने गरगा और दामोदर नदी के संगम स्थल तेलमच्चो को चुना और झारखंड के राज्यपाल को गंगा आरती के लिए लेकर आए, इसके लिए बोकारो की समस्त जनता की ओर से उनका धन्यवाद करती हूं। उन्होंने बोकारो के लोगों से और ज्यादा संवेदनशील होकर दामोदर और इसकी सहायक नदियों का संरक्षण करने तथा साफ़-सुथरा रखने का आह्वान किया।
आईआईटी (आईएसएम) के प्रोफ़ेसर अंशुमाली ने कहा कि दामोदर झारखंड के अस्सी हज़ार वर्ग किलोमीटर सिंचित क्षेत्र में से पच्चीस हज़ार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को सिंचित करती है। दामोदर की सहायक नदियां जैसे जमुनिया, कटरी और गरगा को बचाने, उन्हें संरक्षित करने की आज सबसे अधिक ज़रूरत है। इन नदियों को उनकी खोई ज़मीन वापस लौटाना होगा। हमें उनका पुराना अस्तित्व, पुराना स्वरूप लौटाना होगा। तभी गंगा और दामोदर जैसी बड़ी नदियों का अस्तित्व बचेगा। आज सर्वे मैप पर छोटी नदियों का उल्लेख तो ज़रूर है मगर धरातल पर देखे तो इनका अस्तित्व नष्ट हो चुका है।
इसके पूर्व स्वागत भाषण युगांतर भारती के अध्यक्ष अंशुल शरण ने किया। उन्होंने बताया कि झारखंड के 45 स्थानों पर आज देवनद-दामोदर महोत्सव का आयोजन हो रहा है। यह महोत्सव बीते 2006 से लगातार चला आ रहा है। यह संयोग है कि आज ही पर्यावरण दिवस और गंगा दशहरा भी है।

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