वज्रपात से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है – अनिकेत सचान, उप विकास आयुक्त एलबीएसएम कालेज में वज्रपात से बचाव पर सेमिनार
उप विकास आयुक्त अनिकेत सचान ने कहा कि वज्रपात से होने वाले डिजास्टर को रोका नहीं जा सकता, पर उसके प्रभाव को जरूर कम किया जा सकता है। झारखंड में वज्रपात एक बडा डिजास्टर है। लोगों के साथ साथ जानवरों की भी वज्रपात के कारण मृत्यु हो जाती है

वज्रपात से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है – अनिकेत सचान, उप विकास आयुक्त
एलबीएसएम कालेज में वज्रपात से बचाव पर सेमिनार
जमशेदपुर – रोटरी क्लब ऑफ जमशेदपुर मिड टाउन और सिविल डिफेंस, जमशेदपुर के द्वारा आज एल. बी. एस. एम. कॉलेज के बहुउद्देशीय सभागार में ‘आपदा से निपटने की क्षमता और स्थिरता’ (Disaster Resilience and sustainbility) विषय पर एक सेमिनार का आयोजन किया गया। यह आयोजन आपदा प्रबंधन प्राधिकरण, जिला प्रशासन, सिंहभूम और एल. बी. एस. एम. कॉलेज के आईक्यूएसी के सहयोग से संपन्न हुआ सेमिनार मुख्य रूप से वज्रपात से होने वाली आपदा से बचाव पर केंद्रित था। यह क्लाइमेंट रेजिलिएंट आबसर्विंग सिस्टम प्रोमोशन काउंसिल, भारत मौसम विज्ञान विभाग और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण द्वारा चलाए अभियान ‘वज्रपात सुरक्षित भारत अभियान’ की एक कड़ी के बतौर आयोजित हुआ
सेमिनार के मुख्य अतिथि उप विकास आयुक्त अनिकेत सचान ने कहा कि वज्रपात से होने वाले डिजास्टर को रोका नहीं जा सकता, पर उसके प्रभाव को जरूर कम किया जा सकता है। झारखंड में वज्रपात एक बडा डिजास्टर है। लोगों के साथ साथ जानवरों की भी वज्रपात के कारण मृत्यु हो जाती है। लेकिन इस आपदा को नियति मानकर स्वीकार कर लेना उचित नहीं है। बहुत कम खर्चे में इससे बचाव संभव है। आज का सेमिनार इसी मामले में अनूठा है कि इसमें ऐसी जानकारियां दी जाएंगी, ऐसे तरीके बताए जाएंगे, जिनसे वज्रपात से होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है या उससे बचा जा सकता है।
स्वागत वक्तव्य देते हुए एल. बी. एस. एम. कॉलेज के प्राचार्य प्रो. डॉ. अशोक कुमार झा ने कहा कि आज का सेमिनार पूरी तरह व्यावहारिक जीवन से जुडा हुआ है। अपने जीवन को आपदाओं से कैसे बचाया जाए, इसका ज्ञान बहुत जरूरी है। उन्होंने एल. बी. एस. एम. कॉलेज में डिजास्टर मैनेजमेंट के लिए नॉलेज सेंटर खोलने का सुझाव दिया।
इसके पूर्व आरंभ में मंगल गान की पृष्ठभूमि में दीप प्रज्वलन हुआ। एन०एस०एस० की ओर से सरस्वती वंदना, संताली विभाग द्वारा स्वागत गान और लीसा द्वारा नृत्य की प्रस्तुति की गयी।
इस अवसर पर कर्नल संजय श्रीवास्तव ने कहा कि झारखंड में वज्रपात से प्रभावित नब्बे प्रतिशत लोग ट्राइबल ही होते हैं। इसीलिए इस तरह के अभियान को गाँव-गाँव तक पहुंचाना जरूरी है। उन्होंने आपदा और खतरों से बचाव के लिए बनाये गये ऐप ‘सचेत’ और आपातकालीन फोन नंबर-112 की जानकारी दी तथा यह बताया कि वज्रपात के समय दोनों पैरों की ऐडियों को सटाकर और आँख कान ढंककर उकडूं होकर बैठ जाना चाहिए।
दया शंकर मिश्र ने कहा कि वज्रपात के समय पेड़ के नीचे खड़ा होना खतरनाक है। वज्रपात प्रायः दोपहर बाद २ बजे से 7 बजे तक अधिक होता है। उस वक्त कोई खुली जगह या मैदान में हो, तो उसे उकड़ू बैठ जाना चाहिए। वज्रपात के आघात के बाद मेडिकल सुविधाएं किस तरह प्रदान की जाए, इसकी जानकारी भी महत्वपूर्ण है। वज्रपात के बाद हर्ट ब्लॉक भी हो जाता है, सांस रुक जाती है, तब सीपीआर की जरूरत होती है।
सिविल डिफेन्स, जमशेदपुर से सम्बद्ध अरुण कुमार ने अपने संगठन के बारे में जानकारी दी। रोटरी क्लब ऑफ जमशेदपुर, मिड टाउन की अध्यक्षा प्रीति सैनी ने भी कहा कि वज्राघात यहां की सबसे बड़ी समस्या है। इसलिए इससे बचाव के लिए वे और उनका संगठन पिछले कुछ माह से इस तरह के आयोजन की तैयारी में लगे हुए थे।
आयोजन में अतिथियों को गमछा और स्मृति चिह्न देकर सम्मानित किया गया।
आयोजन में मुख्य रूप से राजेश्वर जायसवाल, डॉ. संचिता भुईसेन, डॉ. दीपंजय श्रीवास्तव, प्रो. पुरुषोत्तम प्रसाद, प्रो. अरविंद पंडित, प्रो. विनोद कुमार, डॉ. विजय प्रकाश, प्रो. संतोष राम, डॉ. जया कच्छप, डॉ . सुष्मिता धारा, डॉ. रानी, प्रो. बाबूराम सोरेन, डॉ. प्रमिला किस्कू, डॉ. सलोनी रंजने, डॉ. शबनम परवीन, डॉ. सुधीर कुमार, चंदन जायसवाल, संजीव मुर्मू आदि मौजूद थे। आयोजन में एनसीसी कैडेट्स, एनएसएस से जुड़े विद्यार्थी, रोटरी क्लब एवं सिविल डिफेंस, जमशेदपुर के सदस्यों के साथ भारी संख्या में छात्र मौजूद थे।
संचालन राजनीति विज्ञान विभाग के अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार गुप्ता ने तथा धन्यवाद ज्ञापन के.के. सिन्हा ने किया।