आत्महत्या: एक गंभीर जनस्वास्थ्य समस्या डॉ. द्युति आर एसोसिएट स्पेशलिस्ट मनोचिकित्सा विभाग टाटा मेन हॉस्पिटल जमशेदपुर
आत्महत्या दुनिया में मौत का एक बड़ा कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हर साल 7 लाख से अधिक लोग आत्महत्या कर लेते हैं। 15 से 30 साल की उम्र के युवाओं में यह तीसरा सबसे बड़ा कारण है। एक आत्महत्या से केवल वही व्यक्ति प्रभावित नहीं होता, बल्कि उसके परिवार और करीब 5-6 लोग गहराई से प्रभावित होते हैं। इसलिए आत्महत्या रोकना डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक बड़ी चुनौती है। भारत में हर साल लगभग 1,70,000 लोग आत्महत्या करते हैं

आत्महत्या: एक गंभीर जनस्वास्थ्य समस्या डॉ. द्युति आर एसोसिएट स्पेशलिस्ट मनोचिकित्सा विभाग टाटा मेन हॉस्पिटल जमशेदपुर
जमशेदपुर- आत्महत्या दुनिया में मौत का एक बड़ा कारण है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के अनुसार हर साल 7 लाख से अधिक लोग आत्महत्या कर लेते हैं। 15 से 30 साल की उम्र के युवाओं में यह तीसरा सबसे बड़ा कारण है। एक आत्महत्या से केवल वही व्यक्ति प्रभावित नहीं होता, बल्कि उसके परिवार और करीब 5-6 लोग गहराई से प्रभावित होते हैं। इसलिए आत्महत्या रोकना डॉक्टरों और स्वास्थ्य सेवाओं के लिए एक बड़ी चुनौती है।
भारत में हर साल लगभग 1,70,000 लोग आत्महत्या करते हैं। इसके पीछे कई कारण होते हैं जैसे पारिवारिक झगड़े, पढ़ाई का दबाव, बेरोजगारी या आर्थिक दिक्कतें, मानसिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य सेवाओं की कमी। युवा और बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। बुजुर्गों में लंबी बीमारी के कारण यह समस्या बढ़ती है, वहीं युवाओं में सोशल मीडिया की लत और साइबर बुलिंग जैसे नए कारण सामने आ रहे हैं।
झारखंड में आत्महत्या की दर प्रति 1,00,000 की आबादी पर लगभग 6 है। जमशेदपुर में आत्महत्या के मामलों में कुछ कमी देखी गई है, लेकिन टाटा मेन हॉस्पिटल में पिछले साल 130 से ज्यादा लोग आत्महत्या या खुद को नुकसान पहुँचाने की कोशिश के बाद इलाज के लिए आए। इसके पीछे पारिवारिक तनाव, दोस्तों या रिश्तों में समस्या और सोशल मीडिया का असर मुख्य कारण रहे। अगर समय पर इलाज, काउंसलिंग और परिवार का सहयोग मिले तो आत्महत्या रोकी जा सकती है।
कभी-कभी लोग खुद को चोट पहुँचाकर अपने मन का दर्द कम करने की कोशिश करते हैं, और आत्महत्या अक्सर उस दर्द से बचने का आखिरी रास्ता लगता है जिसे वे सहन नहीं कर पाते। ऐसे लोगों को समझना और बिना किसी भेदभाव के मदद करना जरूरी है, ताकि उन्हें जीने की राह दिखाई जा सके।
मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ इस दिशा में बहुत मदद कर सकते हैं। वे मरीजों को तनाव से निपटने के तरीके सिखाते हैं, मानसिक बीमारियों का इलाज करते हैं और उन्हें मजबूत (रेजिलियेंट) बनने में मदद करते हैं। परिवार, डॉक्टरों और समाज के सहयोग से एक ऐसा माहौल बनाया जा सकता है, जहाँ आत्महत्या की प्रवृत्ति कम हो और लोग सुरक्षित महसूस करें।