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हिंदी सप्ताह समारोह के शुभ अवसर पर सीएसआईआर राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला के ऐतिहासिक प्रेक्षागृह में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया

इस अवसर पर प्रयोगशाला के निदेशक डॉ संदीप घोष चौधुरी ने अपने संबोधन में कहा कि हम सब एकत्रित हुए हैं एक भव्य कवि सम्मेलन के लिए। यह अवसर केवल कवियों और श्रोताओं का संवाद नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव है

जमशेदपुर- आज हिंदी सप्ताह समारोह के शुभ अवसर पर सीएसआईआर राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला के ऐतिहासिक प्रेक्षागृह में कवि सम्मेलन आयोजित किया गया। इस अवसर पर प्रयोगशाला के निदेशक डॉ संदीप घोष चौधुरी ने अपने संबोधन में कहा कि हम सब एकत्रित हुए हैं एक भव्य कवि सम्मेलन के लिए। यह अवसर केवल कवियों और श्रोताओं का संवाद नहीं है, बल्कि यह हमारी सांस्कृतिक धरोहर का उत्सव है।

उन्होंने कहा कि कविता मनुष्य की आत्मा की अनिवार्य अभिव्यक्ति है। जब शब्द भाव से जुड़ते हैं, तो वे केवल भाषा नहीं रहते, वे लोक-जीवन के दर्पण बन जाते हैं। लोकमानस की पीड़ा, उसकी आशा, उसका उल्लास, उसकी संवेदना—सबसे सीधा और सशक्त माध्यम कविता ही रही है।

कविता की भूमिका लोक-जीवन में बहुत महत्वपूर्ण है कविता मनुष्य को मनुष्य से जोड़ती है। यह हमें स्मरण कराती है कि दुःख केवल व्यक्तिगत नहीं होता, उसमें एक साझा मानवता का अनुभव निहित है।

प्रयोगशाला के प्रशासन नियंत्रक जयशंकर शरण ने कहा कि ओजस्वी कविताएँ समाज को जागृत करती हैं, अन्याय के विरुद्ध खड़े होने की ऊर्जा देती हैं।
ऋंगार और गीत जीवन की मधुरता को व्यक्त कर मनुष्य को सौंदर्य और प्रेम का रस प्रदान करते हैं।व्यंग्य हमें समाज की विसंगतियों से रूबरू कराता है और हँसी के माध्यम से गंभीर सच्चाइयों को समझने की दृष्टि देता है।
यह आध्यात्मिक व भावनात्मक संतुलन पैदा करती है। ग़ज़ल और गीत आत्मा की गहराइयों तक उतर कर मनुष्य को शांति, सुकून और गहन चिंतन की ओर ले जाते हैं।
आज इस मंच पर जो कवि और कवयित्रियाँ उपस्थित थे –
• कवि अनंत महेंद्र अपने गीतों और सधी हुई मंच-संचालन कला से संवाद को जीवंत बना रहे थे।

• डॉ. संगीता नाथ अपने ओज और शृंगार रस से हमें ऊर्जस्वित और सौंदर्यमय कर रही थीं।

• वसंत जोशी का हास्य-व्यंग्य समाज की विसंगतियों पर मुस्कराते हुए चिंतन की ओर ले जा रहा था।

• मंजू शरण मंजुल गीत और शृंगार की मधुरता से मन को पुलकित कर रही थीं।
और रीना यादव अपनी ग़ज़लों के माध्यम से संवेदनाओं की गहराई से हृदय को स्पर्श कर रही थीं।
प्रयोगशाला के वरिष्ठ हिंदी अधिकारी चयन ग्रेड डॉ पुरुषोत्तम कुमार ने कहा कि इस कवि महत्व इस बात में है कि यह केवल एक साहित्यिक आयोजन नहीं, बल्कि झारखंड की सांस्कृतिक चेतना का उत्सव है। यहाँ कविता अपने समस्त रूपों में प्रस्तुत होकर यह संदेश दे रही है कि कविता केवल शब्दों का खेल नहीं, बल्कि जीवन की धड़कन है।
इस शुभ अवसर पर प्रयोगशाला के सभी कार्मिकों के साथ साथ श्रीमती संगीता घोष चौधुरी भी उपस्थित थीं जिन्होंने अपनी उपस्थिति के द्वारा सभी कार्मिकों को प्रेरणा प्रदान की।

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