विधिक शिक्षण संस्थान तीनों आपराधिक कानूनों को पाठ्यक्रम में प्रभावी ढंग से लागू करें- राजेश शुक्ल
झारखंड स्टेट बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन और वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने राज्य के सभी विधिक शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे बार काउंसिल ऑफ इंडिया के उस निर्देश का कड़ाई से पालन करें जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने शैक्षणिक बर्ष 2024-25 में विधि शिक्षा केंद्रों के पाठ्यक्रम में तीन आपराधिक नए कानूनों को शामिल करना अनिवार्य किया था

विधिक शिक्षण संस्थान तीनों आपराधिक कानूनों को पाठ्यक्रम में प्रभावी ढंग से लागू करें- राजेश शुक्ल
जमशेदपुर- झारखंड स्टेट बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन और वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने राज्य के सभी विधिक शिक्षण संस्थानों को निर्देश दिया है कि वे बार काउंसिल ऑफ इंडिया के उस निर्देश का कड़ाई से पालन करें जिसमें बार काउंसिल ऑफ इंडिया ने शैक्षणिक बर्ष 2024-25 में विधि शिक्षा केंद्रों के पाठ्यक्रम में तीन आपराधिक नए कानूनों को शामिल करना अनिवार्य किया था
श्री शुक्ल ने कहा है कि न्याय की भावना से तैयार भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के इस नए कानून में क्या बदला,क्या हटा और क्या जुड़ा है इसके लिए विधि शैक्षणिक संस्थानों में व्यापक रूप से पढ़ाने और जागरूक बनाने की जरूरत है
श्री शुक्ल ने कहा है कि तीन नए कानूनों को न्याय,समानता और निष्पक्षता के तीन मुल सिद्धांतो पर परिवर्तित किया गया है l भारतीय दंड प्रक्रिया (सीआरपीसी ) में पहले 484 धाराएं थी,इसकी जगह अब भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता में 531 है, 177 धाराओं में बदलाव किया गया है, 9 नई धाराएं जोड़ी गई है l 39 नए सब-सेक्शन जोड़े गए हैं, 44 नए प्रावधान और स्पष्टीकरण जोड़े गए हैं ,35 सेक्शन में समय सीमा जोड़ी गई है और 14 धाराओं को समाप्त कर दिया गया है l इसी तरह आई पी सी की जगह भारतीय न्याय संहिता में पहले 511 धाराएँ थी, जो अब 358 रह गई है, इसमें 21 नए अपराधों को जोड़ा गया है , 41 अपराधों में कारावास की अवधि बढ़ाई गई है ,82 अपराधों में जुर्माना बढ़ाया गया है , 25 अपराधों में अनिवार्य न्यूनतम सजा शुरू की गई है, 6 अपराधों में सामुदायिक सेवा का दंड देने का प्रावधान किया गया है, जबकि 19 धाराओं को समाप्त कर दिया गया है
श्री शुक्ल ने कहा है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम में 167 धाराएं थी, इसकी जगह अब 170 धाराएं बनी है , इनमें 24 धाराओं में बदलाव किया गया है, 2 नई धाराएं जोड़ी गई है और 6 धाराओं को हटा दिया गया है सही अर्थों में इसका व्यापक अध्ययन और इस पर जागरूकता जरूरी है
श्री शुक्ल विधिक शिक्षण संस्थानों और विधि महाविद्यालयों से आग्रह किया है कि वे बार काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देशों का कड़ाई से पालन करे और इन तीनों नए कानूनों पर नियमित सेमिनार और संगोष्ठी आयोजित कराए ताकि इन तीनों नए कानूनों के हर पहलू से विधि के छात्र समृद्ध बने और समाज में भी जागरूकता ला सके और नए कानूनों की व्याख्या कर सके