Uncategorized

डिप्रेशन से मुक्ति के लिए अष्टांग योग का अभ्यास आवश्यक है- सुनील आनंद

आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से सोनारी एवं कदमा यूनिट में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर "जड़ वस्तु से विशेष आकर्षण अवसाद का मूल कारण है " विषय पर तत्व सभा का आयोजन किया गया

डिप्रेशन से मुक्ति के लिए अष्टांग योग का अभ्यास आवश्यक है- सुनील आनंद

जमशेदपुर – आनंद मार्ग प्रचारक संघ की ओर से सोनारी एवं कदमा यूनिट में विश्व आत्महत्या रोकथाम दिवस के अवसर पर “जड़ वस्तु से विशेष आकर्षण अवसाद का मूल कारण है ” विषय पर तत्व सभा का आयोजन किया गया। सुनील आनंद ने कहा कि लोग ज्यादा से ज्यादा कीर्तन करे । अनन्य भाव से कीर्तन करें “बाबा नाम केवलम्” अनन्य भाव का कीर्तन है। कीर्तन करने से जड़ वस्तु से मन ऊपर उठ सकता है। जड़ वस्तु के प्रति अत्याधिक आकर्षण के कारण अवसाद रोग (डिप्रेशन) का जन्म होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 34 करोड़ से अधिक अवसाद रोग के मरीज पूरी दुनिया में है। भारतीय जनसंख्या का लगभग 5% करीब 6 करोड़ लोग अवसाद रोग से ग्रस्त हैं। अवसाद रोग के कारण की चर्चा करते हुए कहा कि मनुष्य के जीने का ढंग बदल गया, व्यक्ति आत्मसुख तत्व से ग्रस्त हो स्वार्थी हो गया। आर्थिक विषमता के कारण समाज बिखर गया है । स्वतंत्रता की आड़ में युवक-युवतियां चारित्रिक पतन की ओर उन्मुख हो रहे हैं और अंततः हताश, निराश हो अवसादग्रस्त हो रहे हैं। अवसाद( डिप्रेशन) के मुख्य पांच कारण की चर्चा करते हुए उन्होंने पतंजलि योगसूत्र चैप्टर 2.3 हवाला देते हुए कहा कि मनुष्य अविद्या (अज्ञानता) ,अस्मिता (अहंकार ),राग (आसक्ति),द्वेष( विरक्ति) एवं अभिनिवेश( मृत्यु का भय )से ग्रस्त है। उन्होंने कहा कि डिप्रेशन से मुक्ति के लिए अष्टांग योग का अभ्यास आवश्यक है। अष्टांग योग के अभ्यास से अंतः स्रावी ग्रंथियों का रसस्राव( रासायनिक द्रव. हार्मोंस ) संतुलित हो जाता है, जिसके फलस्वरुप विवेक का जागरण होता है और मनुष्य का जीवन आनंद से भर उठता है। मनुष्य के खुशहाल रहने का गुप्त रहस्य अष्टांग योग में छुपा हुआ है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!