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झारखण्ड राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर सूर्य सिंह बेसरा का शोक संदेश

आजसू के संस्थापक सह झारखण्ड पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने झारखण्ड आन्दोलन के जनक और राज्य के निर्माता दिशोम गुरु शिबू सोरेन की आकस्मिक निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गहरी संवेदना व्यक्त किया है। श्री बेसरा ने गुरूजी की दिवंगत आत्मा को शांति के लिए तथा सोरेन परिवार को सहन शक्ति देने के लिए ईश्वर (मरांग बुरू) से प्रार्थना किया है

झारखण्ड राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री सह झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर सूर्य सिंह बेसरा का शोक संदेश

The Union Coal Minister, Shri Shibu Soren chairing the 28th Meeting of the Standing Committee on Safety in Coal Mines, in New Delhi on May 09,2006.
The Minister of State for Coal & Mines, Dr. Dasari Narayana Rao and the Secretary, Coal, Shri H.C. Gupta are also seen.
जमशेदपुर-आजसू के संस्थापक सह झारखण्ड पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष पूर्व विधायक सूर्य सिंह बेसरा ने झारखण्ड आन्दोलन के जनक और राज्य के निर्माता दिशोम गुरु शिबू सोरेन की आकस्मिक निधन पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए गहरी संवेदना व्यक्त किया है। श्री बेसरा ने गुरूजी की दिवंगत आत्मा को शांति के लिए तथा सोरेन परिवार को सहन शक्ति देने के लिए ईश्वर (मरांग बुरू) से प्रार्थना किया है। श्री बेसरा ने कहा है कि गुरूजी की देहान्त का खबर मिलते ही सम्पूर्ण भारत देश और झारखण्ड प्रदेश में शोक की लहर दौड़ गई सूर्य सिंह बेसरा ने कहा है कि गुरूजी के निधन से अपूरणीय शून्यता बन गई है, उनकी भरपाई कदापि सम्भव नहीं है। हमने झारखण्ड राज्य के निर्माता को सदा के लिए खो दिया है।
स्वर्गीय शिबू सोरेन के साथ सूर्य सिंह बेसरा का गहरा संबंध था
श्री बेसरा के अनुसार 1980 में गुरु जी ने कहा था मेरा उत्तराधिकारी के रूप में एक दिन सूर्य सिंह बेसरा ही झारखण्ड आन्दोलन का बागडोर संभालेंगे
1980 में मैं घाटशिला कॉलेज में प्रथम वर्ष वाणिज्य संकाय के विद्यार्थी था उन दिनों गुरूजी झारखण्ड आन्दोलन में काफ़ी लोकप्रिय नेताओं में से थे गुरूजी सूदखोर महाजनों के खिलाफ सीधी करवाई की लड़ाई लड़ते थे साथ ही शराब बंदी और जंगल बचाओ का भी आन्दोलन करते थे। मैं उनसे प्रभावित हो कर मेरे गृह प्रखंड डूमरिया क्षेत्र में 1980 में मेरे नेतृत्व में शराब भट्टी तोड़ो आंदोलन आदिवासियों का जमीन वापसी करना तथा जंगल बचाओ आन्दोलन किया था। उसके बाद 1980 में शैलेन्द्र महतो के साथ 2 फ़रवरी को संतालपरगना स्थित दुमका जाकर झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की स्थापना दिवस पर जनसभा को संबोधित किया। मेरा भाषण सुन कर गुरूजी काफी प्रभावित हुए हमने गुरूजी को आग्रह किया कि 30 जून को सिंहभूम जिला स्थित मुसाबनी ताम्र नगर में “सिदो कानू हूल” दिवस में आपको मुख्य अतिथि के रूप में आमंत्रित करना है। गुरूजी ने आमंत्रण को स्वीकार कर लिया। 30 जून को मुसाबनी गुरूजी उपस्थित हुए जहां 10 हजार लोगों की भीड़ देख कर बहुत खुश हुए। तब से ही मैं झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का समर्पित सिपाही बन कर पार्टी का विस्तार किया गुरूजी खुश होकर मुझे 1985 में बिहार विधानसभा चुनाव के लिए घाटशिला से झामुमो की टिकट से चुनाव लड़ाए। मै 10000 दस हजार वोट से चुनाव जीत गए थे, लेकिन चुनाव पदाधिकारी के गड़बड़ी से कांग्रेस के उम्मीदवार कारण मरांडी को निर्वाचित घोषित किया गया। उसके बाद 1986 में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा की द्वितीय महाधिवेशन रांची में हुई जहां मुझे पार्टी की केन्द्रीय कार्यकारिणी के सदस्य के अलावे गुरूजी ने मुझे छात्र संघटन बनाने का जिम्मेदारी सौंपा। उसके बाद मैंने 22 जून 1986 को जमशेदपुर में “ऑल झारखण्ड स्टूडेंट्स यूनियन (आजसू) का गठन किया था

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