टाटा स्टील ने सर दोराबजी टाटा की 166वीं जयंती मनाई
टाटा स्टील ने आज सर दोराबजी टाटा की 166वीं जयंती मनाई। इस अवसर पर कंपनी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके अद्वितीय योगदान और प्रेरणादायक व्यक्तित्व को याद किया जमशेदपुर में समारोह की शुरुआत सर दोराबजी टाटा पार्क में श्रद्धांजलि समारोह के साथ हुई। इस अवसर पर टाटा स्टील के सीईओ एवं मैनेजिंग डायरेक्टर टी. वी. नरेंद्रन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ सम्मानित अतिथि के रूप में डॉ. टी. मुखर्जी, पूर्व डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर (स्टील) टाटा स्टील और विशिष्ट अतिथि के रूप में संजीव कुमार चौधरी, अध्यक्ष, टाटा वर्कर्स यूनियन भी मौजूद थे

टाटा स्टील ने सर दोराबजी टाटा की 166वीं जयंती मनाई
जमशेदपुर- टाटा स्टील ने आज सर दोराबजी टाटा की 166वीं जयंती मनाई। इस अवसर पर कंपनी ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके अद्वितीय योगदान और प्रेरणादायक व्यक्तित्व को याद किया
जमशेदपुर में समारोह की शुरुआत सर दोराबजी टाटा पार्क में श्रद्धांजलि समारोह के साथ हुई। इस अवसर पर टाटा स्टील के सीईओ एवं मैनेजिंग डायरेक्टर टी. वी. नरेंद्रन मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उनके साथ सम्मानित अतिथि के रूप में डॉ. टी. मुखर्जी, पूर्व डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर (स्टील) टाटा स्टील और विशिष्ट अतिथि के रूप में संजीव कुमार चौधरी, अध्यक्ष, टाटा वर्कर्स यूनियन भी मौजूद थे।
इस मौके पर टाटा स्टील और समूह की अन्य कंपनियों के वरिष्ठ अधिकारी, टाटा वर्कर्स यूनियन के पदाधिकारीगण तथा जमशेदपुर के प्रतिष्ठित नागरिकों की गरिमामयी उपस्थिति रही।
अपने संबोधन में टी. वी. नरेंद्रन ने कहा कि सर दोराबजी टाटा के जीवन से नेतृत्व के अनेक महत्वपूर्ण सबक सीखे जा सकते हैं। उन्होंने भारत के औद्योगिकीकरण की यात्रा में उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि सर दोराबजी टाटा न केवल उद्योग के क्षेत्र में अग्रणी थे, बल्कि उन्होंने देश के सर्वांगीण विकास में भी अहम भूमिका निभाई।
सभा को संबोधित करते हुए संजीव कुमार चौधरी अध्यक्ष — टाटा वर्कर्स यूनियन, ने कहा कि सर दोराबजी टाटा का योगदान सिर्फ एक उद्योगपति तक सीमित नहीं था, बल्कि वे एक संवेदनशील और दूरदर्शी लीडर भी थे। उन्होंने न केवल इस क्षेत्र में देश का पहला स्टील प्लांट स्थापित करने में अहम भूमिका निभाई, बल्कि श्रमिकों की पीड़ा को भी गहराई से समझा और उनके कल्याण के लिए निरंतर प्रयास किए।
टाटा स्टील, सर दोराबजी टाटा को अपने संस्थापक और मार्गदर्शक के रूप में सम्मानपूर्वक याद करती है। उनकी दूरदर्शिता, नेतृत्व और मूल्यों की विरासत आज भी कंपनी की सोच और कार्यशैली में समाहित है, जो निरंतर आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करती है।
सर दोराबजी टाटा का खेलों के प्रति जुनून उनके कार्यों में स्पष्ट रूप से दिखाई देता है। उन्होंने अपने पिता जमशेदजी टाटा की दूरदर्शिता को आगे बढ़ाते हुए कंपनी की नीतियों में खेल और पार्कों के लिए स्थान सुरक्षित रखने की परंपरा को अपनाया। उनका सपना था कि भारत ओलंपिक खेलों में भाग ले इसी उद्देश्य से उन्होंने 1920 में एंटवर्प ओलंपिक खेलों के लिए भारतीय एथलीटों को प्रायोजित किया उनके निरंतर प्रयासों के परिणामस्वरूप भारत को 1924 के पेरिस ओलंपिक में भाग लेने का अवसर मिला और उन्हें अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) का सदस्य नियुक्त किया गया। इसके साथ ही वे भारतीय ओलंपिक संघ के पहले अध्यक्ष भी बने
टाटा स्टील सर दोराबजी टाटा की विरासत को आगे बढ़ाते हुए खेलों को राष्ट्र निर्माण का एक महत्वपूर्ण माध्यम मानती है। फुटबॉल, तीरंदाजी, एथलेटिक्स हॉकी और स्पोर्ट क्लाइम्बिंग जैसे विभिन्न खेलों के लिए स्थापित अकादमियों के माध्यम से हम भारतभर में खेल प्रतिभाओं को संवारने का काम कर रहे हैं। सर दोराबजी टाटा की यह प्रेरणादायक विरासत न केवल खेलों तक सीमित है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के उद्यमियों और उद्योगपतियों को भी नेतृत्व, दूरदर्शिता और सामाजिक उत्तरदायित्व की भावना से प्रेरित करती रहेगी।
इस विशेष अवसर पर टाटा स्टील के कॉर्पोरेट कम्युनिकेशंस विभाग ने जमशेदपुर की मीडिया बिरादरी के लिए सेंटर फॉर एक्सीलेंस में एक क्विज प्रतियोगिता का आयोजन भी किया। इस कार्यक्रम में लगभग 50 मीडिया प्रतिनिधियों ने भाग लिया जिनमें वरिष्ठ संपादक और पत्रकार शामिल थे।