योजनाओं में करोड़ों की बंदरबांट, फिर भी बदहाल पंचायतें स्पष्टीकरण और जांच बनी दोषियों की ढाल
कुछ खास पंचायतों में पिछले तीन वर्षों में खर्च किये गए आकड़ों को जानकर हो जाएंगे हैरान लेकिन आज भी मूलभूत समस्याओं का अम्बार

चतरा- योजनाओं में करोड़ों की बंदरबांट, फिर भी बदहाल पंचायतें स्पष्टीकरण और जांच बनी दोषियों की ढाल
कुछ खास पंचायतों में पिछले तीन वर्षों में खर्च किये गए आकड़ों को जानकर हो जाएंगे हैरान लेकिन आज भी मूलभूत समस्याओं का अम्बार
चतरा जिले में कमीशनखोरी चरम पर है। हरेक वर्ष कुछ खास पंचायतों में मनरेगा के तहत करोड़ों रुपये खर्च किए जाते हैं लेकिन इन पंचायतों की स्थिति आज भी बदहाल बनी हुई है। सड़क, जल-निकासी,शिक्षा, रोजगार, सिंचाई जैसी बुनियादी सुविधाएं वर्षों से अधूरी हैं
मनरेगा के अलावा 15वें वित्त आयोग,आरईओ, विशेष प्रमंडल, जिला परिषद, कृषि विभाग, भूमि संरक्षण, मत्स्य विभाग, लघु सिंचाई, डीएमएफटी, पेयजल एवं स्वच्छता विभाग सहित कई अन्य मदों से योजनाएं संचालित होती रही हैं। कागजों पर इन पंचायतों को मानो आदर्श पंचायत बना दिया गया हो लेकिन जमीन पर हालात इसके ठीक उलट हैं।
जिले में गड़बड़ियों या अनियमितताओं की शिकायतें जब भी सामने आती हैं, संबंधित अधिकारियों द्वारा जांच और स्पष्टीकरण को ढाल बनाकर मामले को या तो ठंडे बस्ते में डाल दिया जाता है या दोषियों को बचा लिया जाता है। और ऐसे दर्जनों मामले हैं जिनके विरुद्ध आज भी करवाई की फाइलें धूल फांक रही है
ऐसा प्रतीत होता है मानो “जांच और स्पष्टीकरण” ही अब भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने का सबसे बड़ा हथियार बन गया है। हालांकि उपायुक्त कीर्तिश्री चतरा में योगदान देने के पश्चात जिले का हालात और समस्याओं से रूबरू होने के लिए लगातार सुदूरवर्ती क्षेत्रों का दौरा कर रही है तथा गड़बड़ियों और अनियमिताओं में सुधार लाने के लिए सख्त निर्देश दे रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर उन निर्देशों का असर नहीं दिखता। कई अधिकारी और विभागीय कर्मी आज भी अपने पुराने ढर्रे पर काम कर रहे हैं।
क्रमशः जारी ……
रपट-संजीत मिश्रा