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श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर में मनाया गया प्रथम जीर्णोद्धार समारोह विधि-विधान से पूजन, हवन, प्रसाद और भोग वितरण का हुआ आयोजन

जल्द ही कालीयंत्र और श्रीयंत्र की होगी स्थापना-सरयू राय

श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर में मनाया गया प्रथम जीर्णोद्धार समारोह विधि-विधान से पूजन, हवन प्रसाद और भोग वितरण का हुआ आयोजन

जमशेदपुर- श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर (बिड़ला मंदिर) केबुल टाउन का जीर्णोद्धार कार्य प्रगति पर है आज मंदिर जीर्णोद्धार कार्य का एक वर्ष पूरा हो गया। इस अवसर पर 11 ब्राह्मणों द्वारा विशेष पूजा-अर्चना की गई और भोग-प्रसाद का वितरण किया गया। प्रमुख यजमान के तौर पर साकेत गौतम और उनकी धर्मपत्नी पूजा पर बैठीं। सहयोगी यजमानों में अमृता मिश्रा, ममता सिंह और नागेंद्र सिंह ने पूजा में हिस्सा लिया

सोमवार की सुबह साढ़े नौ बजे मंदिर प्रांगण में सबसे पहले शांति पाठ किया गया। उसके बाद गौरी-गणेश का पूजन किया गया। गौरी गणेश के पूजन के बाद सबसे पहले विघ्नहर्ता श्री गणेश की पूजा की गई। इसके बाद क्रम से श्री हनुमान जी, माता काली जी की पूजा की गई। माता काली की पूजा के उपरांत उनकी प्रतिमा के समक्ष ही दुर्गासप्तशती का पाठ किया गया। इसके बाद शिवालय में शिव परिवार की पूजा की गई। फिर दूध और जल से रुद्राभिषेक किया गया। फिर श्री लक्ष्मीनारायण जी की पूजा की गई। इस दौरान सारे ब्राह्मण विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ करते रहे। पाठ संपन्न होने के बाद विधिवत हवन, आरती, पुष्पांजलि, प्रसाद और भोग का वितरण हुआ

ब्राह्मणों को भोग-प्रसाद श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर जीर्णोद्धार समिति के संयोजक और विधायक सरयू राय ने खिलाया। जिन ब्राह्मणों ने यह पूजा कराई उनमें विनोद पांडेय, प्रकाश कुमार पांडेय उर्फ धनजी, अजय तिवारी, राकेश ओझा, श्याम मिश्रा, वीरेंद्र तिवारी, राजेश उपाध्याय, धीरज पांडेय, प्रवीण वैदिक, घनश्याम मिश्रा आदि शामिल थे। पूजन सुबह साढ़े 9 बजे प्रारंभ हुआ जो शाम 4 बजे तक चला।




जल्द ही कालीयंत्र और श्रीयंत्र की होगी स्थापना-सरयू राय
जमशेदपुर पश्चिमी के विधायक और श्री लक्ष्मीनारायण मंदिर जीर्णोद्धार समिति के संयोजक सरयू राय ने कहा कि श्री लक्ष्मीनारायण, मां काली, भगवान शंकर, हनुमान जी और गणेश जी की कृपा से गत एक वर्ष में मंदिर जीर्णोद्धार के कार्य में काफी प्रगति हुई है। अभी भी बहुत कुछ होना बाकी है। मंदिर परिसर विशुद्ध आध्यात्मिक गतिविधियों के केंद्र के रुप में विकसित किया जा रहा है। हमारी कर्मकांडी पूजा पद्धतियों की जटिलताओं के बारे में आम जनता की समझदारी विकसित की जा रही है ताकि जो भी व्यक्ति अपने घर या मंदिर में पूजा में बैठता है और पूजा कराने वाले पंडित श्लोकों का उच्चारण करते हैं, उन श्लोकों की पूरी जानकारी लोगों को हो सके ताकि वे पूजा भाव से करें, न कि पूजा कराने वाले पंडित जहां कहते हैं, वहां फूल, बेलपत्र और दक्षिणा चढ़ा दें। मंदिर परिसर से आरंभ हो रही गतिविधियां आम जन को पूजा के वास्तविक भाव से अवगत कराएंगी ताकि पूजा करने वाले व्यक्तियों एवं दंपतियों का ध्यान भी पूरी तरह से पूजा पर केंद्रित रहे। उन्होंने बताया कि शीघ्र ही मंदिर परिसर में कालीयंत्र और श्रीयंत्र की स्थापना विधि-विधान से की जाएगी।

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