सीएसआईआर-एनएमएल ने खनिज लाभ प्रौद्योगिकियों में उभरते रुझानों पर राष्ट्रीय सम्मेलन (EMBT-2025) का आयोजन किया
विकसित भारत के लिए वैज्ञानिक प्रयासों के 75 स्वर्णिम वर्षों का उत्सव

सीएसआईआर-एनएमएल ने खनिज लाभ प्रौद्योगिकियों में उभरते रुझानों पर राष्ट्रीय सम्मेलन (EMBT-2025) का आयोजन किया
विकसित भारत के लिए वैज्ञानिक प्रयासों के 75 स्वर्णिम वर्षों का उत्सव
जमशेदपुर- — सीएसआईआर-राष्ट्रीय धातुकर्म प्रयोगशाला (CSIR-NML), जमशेदपुर ने अपने 75वें स्थापना वर्ष के उपलक्ष्य में “खनिज लाभ प्रौद्योगिकियों में उभरते रुझानों पर राष्ट्रीय सम्मेलन” (EMBT-2025) का आयोजन किया। इस सम्मेलन का उद्देश्य खनिज प्रसंस्करण क्षेत्र में स्वदेशी अनुसंधान और तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देकर राष्ट्रीय आत्मनिर्भरता को सशक्त करना था।
तीन दिवसीय सम्मेलन में देशभर के 22 संगठनों और शैक्षणिक संस्थानों से 150 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। लगभग 66 तकनीकी शोध पत्र प्रस्तुत किए गए, जो इस क्षेत्र में नवीनतम अनुसंधान और औद्योगिक प्रथाओं को दर्शाते हैं।
इस आयोजन को टाटा स्टील, कोल इंडिया, जेएसडब्ल्यू स्टील, सेल, बोलडेटा, सेंट-गोबेन, हिंदुस्तान कॉपर और एरिज इंडिया जैसी प्रमुख औद्योगिक कंपनियों का प्रायोजन प्राप्त हुआ। सम्मेलन के दूसरे दिन प्रतिष्ठित विद्वानों द्वारा व्याख्यान दिए गए। डॉ. पी.के. बनर्जी, उत्कृष्ट वैज्ञानिक, सीएसआईआर-सीआईएमएफआर ने भारत में इस्पात उत्पादन के लिए 85% से अधिक आयातित कोयले पर निर्भरता को कम करने के लिए कोयला परिशोधन (बेनिफिसिएशन) की तत्काल आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने 2030 तक 300 मिलियन टन इस्पात उत्पादन के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए घरेलू परिशोधन क्षमताओं को मजबूत करने की आवश्यकता पर जोर दिया।
प्रो. डी.के. सिंह, आईआईटी-आईएसएम धनबाद ने मोनाजाइट खनिजों से दुर्लभ मृदा तत्वों (REEs) के लिए उन्नत लाभ तकनीकों पर व्याख्यान दिया। उन्होंने भारत के रणनीतिक खनिज संसाधनों के दोहन हेतु टिकाऊ और आर्थिक रूप से व्यवहार्य निष्कर्षण तकनीकों के विकास की आवश्यकता पर बल दिया।
टिम शीहान, प्रबंध निदेशक, एरिज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड ने अपने मुख्य व्याख्यान में कहा कि खनन और खनिज प्रसंस्करण में नवाचार केवल एक तकनीकी चुनौती नहीं बल्कि एक नेतृत्वगत आवश्यकता है। उन्होंने भारत और विकसित देशों के नवाचार परिदृश्यों की तुलना करते हुए बताया कि सांस्कृतिक, आर्थिक और संरचनात्मक कारक किस प्रकार प्रगति को प्रभावित करते हैं। साथ ही, उन्होंने तकनीक अपनाने में नेतृत्व की मानसिकता, जोखिम मूल्यांकन और निर्णय-निर्माण ढांचे की अहम भूमिका पर प्रकाश डाला
डी.पी. चक्रवर्ती, प्रमुख, IMTG, टाटा स्टील ने पूर्वी भारत में जटिल लौह अयस्कों के लाभन के लिए अपनाई जाने वाली रणनीतियों पर प्रस्तुति दी