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नेहरू युवा केंद्र मनाया डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती वक्ताओं ने व्यक्तित्व पर डाला प्रकाश

श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपने वतन से बहुत लगाव था। शिक्षित परिवार में जन्म लेने के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। लेकिन देश प्रेम से उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। उनके कारण ही बंगाल का विभाजन रुका

नेहरू युवा केंद्र मनाया डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती वक्ताओं ने व्यक्तित्व पर डाला प्रकाश

जमशेदपुर – नेहरू युवा केंद्र एवं व्यक्तित्व विकास संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में आज डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जयंती डिमना स्थित ज्ञान गंगा पब्लिक स्कूल में मनाई गई इस मौके पर मुख्य अतिथि के रूप में स्कूल संचालक एवं प्रबंधन समिति के सचिव मधुकर कुमार मौजूद रहे।

अपने वक्तव्य में उन्होंने कहा कि श्यामा प्रसाद मुखर्जी को अपने वतन से बहुत लगाव था। शिक्षित परिवार में जन्म लेने के बाद उन्होंने उच्च शिक्षा प्राप्त की। लेकिन देश प्रेम से उन्होंने कभी समझौता नहीं किया। उनके कारण ही बंगाल का विभाजन रुका। वे हमेशा देश को एक सूत्र में बांधे रखने के हिमायती थे। इसके लिए उन्होंने जम्मू और कश्मीर को दिए गए विशेष दर्जा का विरोध किया। कश्मीर से धारा 370 हटाने की मांग को लेकर उन्होंने वहां प्रवेश किया। गिरफ्तार हुए लेकिन हिम्मत नहीं हारा। विशिष्ट वक्ता के रूप में व्यक्तिव विकास संस्थान के अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने कहा कि डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जीवनी से हम सभी को प्रेरणा लेनी चाहिए।। उनकी जीवनी को स्कूल के पाठ्यक्रम में शामिल किया जाना चाहिए

जिससे बच्चे इससे प्रेरणा ले सकें उन्होंने कहा कि भारत सरकार के निर्देश पर नेहरू युवा केंद्र के माध्यम से कार्यक्रम आयोजित किया गया। जिससे आम जन मानस डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदानों को याद कर सके इससे पहले कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर तथा डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी के चित्र पर पुष्प अर्पित कर की गई

कार्यक्रम का संचालन व्यक्तित्व विकास संस्थान के सचिव मनोज कुमार ने किया इस मौके पर पीएलवी मनोज महतो, रितेश कुमार, सुनील पांडेय, ज्ञान गंगा पब्लिक स्कूल के शिक्षक बीरेंद्र मिश्रा, अमन पाण्डेय समेत काफी संख्या में छात्र मौजूद रहे। इस दौरान डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी की जीवनी पर आधारित भाषण प्रतियोगिता कराई गई, जिसमे स्कूल के होनहार छात्र युवराज सिंह को प्रथम, पीयूष कुमार को द्वितीय तथा शिवम् ओझा को तृतीय पुरस्कार प्रदान किया गया

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