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कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा के हिंदी विभाग के अंतर्गत पिछले दिनों एक महत्वपूर्ण शोध कार्य पूरा हुआ

भारत की सांस्कृतिक पारस्परिकता को चरितार्थ करते हुए हिंदी और मैथिली के भाषाई और सांस्कृतिक संबंधों को देखने और समझने का प्रयास इसमें किया गया है। 'हिंदी और मैथिली राम काव्य परंपरा का तुलनात्मक अध्ययन' विषयक शोध प्रबंध नूतन कुमारी ने डॉ. अविनाश कुमार सिंह के निर्देशन तथा डॉ. अशोक कुमार झा 'अविचल' के सह निर्देशन में पूरा किया

सिंहभूम चाईबासा- कोल्हान विश्वविद्यालय चाईबासा के हिंदी विभाग के अंतर्गत पिछले दिनों एक महत्वपूर्ण शोध कार्य पूरा हुआ भारत की सांस्कृतिक पारस्परिकता को चरितार्थ करते हुए हिंदी और मैथिली के भाषाई और सांस्कृतिक संबंधों को देखने और समझने का प्रयास इसमें किया गया है। ‘हिंदी और मैथिली राम काव्य परंपरा का तुलनात्मक अध्ययन’ विषयक शोध प्रबंध नूतन कुमारी ने डॉ. अविनाश कुमार सिंह के निर्देशन तथा डॉ. अशोक कुमार झा ‘अविचल’ के सह निर्देशन में पूरा किया जिस पर कोल्हान विश्वविद्यालय ने हिंदी विषय में पी-एच.डी. उपाधि की संपुष्टि करते हुए विधिवत अधिसूचना 12 जुलाई को जारी की। बताते चलें कि नूतन कुमारी तुलनात्मक सांस्कृतिक अध्ययन की एक गहन अध्येता हैं। शिक्षण के साथ-साथ शोध एवं लेखन में उनकी गहरी अभिरुचि रही है। नूतन कुमारी ने कहा कि राम पर कोई भी अकादमिक अध्ययन एक आध्यात्मिक और सांस्कृतिक यात्रा पर निकलना है। सीता मिथिला की दुलारी और राम अयोध्या के दुलारे। दोनों के जीवन, संघर्ष, संकल्प और अन्य प्रसंगों को दोनों भाषाओं में गहरी आत्मीयता से प्रस्तुत किया गया है। मैथिली के उद्भट विद्वान अशोक कुमार झा ‘अविचल’ जो साहित्य अकादमी की कार्य परिषद के सम्मानित सदस्य भी हैं, उन्होंने इस शोध कार्य को मील का पत्थर कहा है। उनका कहना है कि हिंदी भाषा-परिवार अपनी बोलियों से मिलकर ही समृद्ध होता है। आधुनिक हिंदी साहित्य के विकास क्रम में हम इसकी बोलियों के साहित्य को भूलने लगे हैं। इस ऐतिहासिक विस्मृति के समानांतर अपनी संवादी स्मृति की ओर लौटने का यह गंभीर प्रयास है। शोध निर्देशक डॉ. अविनाश कुमार सिंह ने भी इसी तथ्य की ओर संकेत करते हुए कहा कि हिंदी साहित्य का इतिहासदर्शन आदिकाल से शुरू होता है, लेकिन आदिकाल में मैथिली से अपने रिश्ते को जोड़ते हुए पूर्व मध्यकाल में ही उससे अलग होता दिखता है। इस तरह एक सांस्कृतिक रिक्थ़ पैदा हो जाता है। यह शोध कार्य उसकी भरपाई करेगा ऐसा भरोसा है

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