दुनिया अगर रामकृष्ण परमहंस की राह पर चलती तो धर्म को लेकर रक्तपात न होती- सुनील कुमार दे
सर्व धर्म समन्वय और धार्मिक एकता के प्रतीक रामकृष्ण परमहंस केवल एक साधक,सिद्ध पुरूष और धर्म गुरु मात्र नहीं थे वे इस युग के अवतारी पुरूष थे।वे सभी धर्म मत और पथ में साधना करके सिद्धि लाभ किये थे और ईश्वर को विभिन्न रूप में दर्शन लाभ किये थे।उन्होंने धर्म की रक्षा, धर्म की स्थापना, ईश्वर विश्वास, धार्मिक एकता और सदभावना का प्रचार किया था

दुनिया अगर रामकृष्ण परमहंस की राह पर चलती तो धर्म को लेकर रक्तपात न होती- सुनील कुमार दे
पोटका- सर्व धर्म समन्वय और धार्मिक एकता के प्रतीक रामकृष्ण परमहंस केवल एक साधक,सिद्ध पुरूष और धर्म गुरु मात्र नहीं थे वे इस युग के अवतारी पुरूष थे।वे सभी धर्म मत और पथ में साधना करके सिद्धि लाभ किये थे और ईश्वर को विभिन्न रूप में दर्शन लाभ किये थे।उन्होंने धर्म की रक्षा, धर्म की स्थापना, ईश्वर विश्वास, धार्मिक एकता और सदभावना का प्रचार किया था उनकी बताए हुए मार्ग पर अगर दुनिया चलती तो धर्म और ईश्वर की लेकर इतना विवाद नहीं होती,इतना झगड़ा हिंसा और रक्तपात नहीं होता
भगवान रामकृष्ण परमहंस ने कहा है कि ईश्वर एक है लेकिन नाम अनेक है एक राम,हज़ारों नाम एक ही पानी को कोई जल,कोई,वाटर,कोई पानी बोलते है उसी प्रकार एक ही ईश्वर को कोई भगवान, कोई आल्लाह, कोई गॉड,कोई राम,कृष्ण,हरि,काली,दुर्गा आदि बोलते है।एक ही व्यक्ति किसी का पिता,किसी का स्वामी,किसी का बंधु,किसी का चाचा,किसी का मामा है उसी प्रकार एक ही ईश्वर को कोई पिता,कोई माता,कोई बंधु,कोई सखा के रूप में पूजते है।एक ही ईश्वर के पास जाने का अनेक रास्ता और उपाय है प्रत्येक धर्म एक एक उपाय है विभिन्न नदी विभिन्न रास्ते पर जाकर जैसे एक ही सागर में मिलती है उसी प्रकार लोग विभिन्न धर्म के माध्यम से एक ही ईश्वर के पास जा सकते है, उसे प्राप्त कर सकते है साधना और तपस्या के बल से।जितना मत है उतना ही पथ है लेकिन लक्ष्य सब का एक है।अगर दुनिया में एक धर्म सत्य है तो सभी धर्म सत्य है।इसलिए धर्म के नाम पर लड़ाई,झगड़ा,दंगा फसाद,हिंसा,रक्तपात करना मूर्खता और अज्ञानता है
इसलिए सभी धर्म के लोगों से मेरा अपील है आप सभी भगवान रामकृष्ण परमहंस के आदर्श और राह पर चलने का कोशिश करें और धर्म व ईश्वर को लेकर झगड़ा,विवाद,हिंसा और रक्तपात बंद करने की चेष्टा करें, साथ ही साथ बलपूर्वक धर्मांतरण करना,दूसरे धर्म की निंदा करना,किसी देव देवीओं और महापुरुषों की निंदा, बदनाम और गंदी टीका टिप्पणी करना भी बंद करें।दुनिया में अपने अपने धर्म की रक्षा करना, धर्म को मानना,अपने अपने नियम अनुसार अपने अपने ईश्वर को मानना और आराधना करना सभी का मौलिक अधिकार है।यह कोई न समझे कि दुनिया में केवल उसी का धर्म और ईश्वर सत्य है और दूसरों का सब गलत है उसी का धर्म दुनिया में केवल रहेगी और सारे धर्म खत्म हो जाएगी यह एक भ्रम है।इसलिए सभी धर्म के लोग भगवान रामकृष्ण परमहंस देव की वाणी को आत्मस्वात करें और धर्म के नाम पर रक्तपात और अशांति फैलाना बंद करें यह मेरी अपील है