बुनियादी जरुरत के खनिजों का उत्खनन करने के लिए लोगों को मिले नियमन मुक्त संवैधानिक अधिकार को लेकर डीसी को ज्ञापन सौंपा
पूर्वी सिंहभूम जिला उपायुक्त कार्यालय में बुनियादी जरूरत के खनिजों का उत्खनन करने के लिए लोगों को मिले नियमन मुक्त संवैधानिक अधिकार को लेकर डीसी को ज्ञापन सौंपा गया। वहीं इस ज्ञापन के माध्यम से डीसी का ध्यान आकृष्ट कराया गया है कि माइन्स एक्ट 1952 की धारा एक में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और इंस्पेक्टर को परिभाषित करती है तथा धारा 5 (3) देश के सभी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को इंस्पेक्टर के रूप में नामित करती है साथ ही माइंस एक्ट 1952 की धारा 6, 7 तथा 8 के अनुपालन सभी जिला मजिस्ट्रेट का दायित्व है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में इस अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन होना सुनिश्चित करें

बुनियादी जरुरत के खनिजों का उत्खनन करने के लिए लोगों को मिले नियमन मुक्त संवैधानिक अधिकार को लेकर डीसी को ज्ञापन सौंपा
जमशेदपुर – पूर्वी सिंहभूम जिला उपायुक्त कार्यालय में बुनियादी जरूरत के खनिजों का उत्खनन करने के लिए लोगों को मिले नियमन मुक्त संवैधानिक अधिकार को लेकर डीसी को ज्ञापन सौंपा गया। वहीं इस ज्ञापन के माध्यम से डीसी का ध्यान आकृष्ट कराया गया है कि माइन्स एक्ट 1952 की धारा एक में डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और इंस्पेक्टर को परिभाषित करती है तथा धारा 5 (3) देश के सभी डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को इंस्पेक्टर के रूप में नामित करती है साथ ही माइंस एक्ट 1952 की धारा 6, 7 तथा 8 के अनुपालन सभी जिला मजिस्ट्रेट का दायित्व है कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में इस अधिनियम के प्रावधानों का अनुपालन होना सुनिश्चित करें और अगर कोई इनकी अवहेलना करता है तो ऐसा करने वालों पर इस अधिनियम के अनुरूप कार्यवाही करें साथ ही अधिनियम की धारा 57 (1) के अनुरूप बनाये गए नियमों में जिला दंडाधिकारी का यह दायित्व है कि वे किसानों को तथा छोटी खुली खदानों को उनकी बुनियादी जरुरतों के लिए बिस्फोटक अनुज्ञप्ति प्रदान करें । यह विशेष रूप से ध्यान देने योग्य है कि माइंस एकट 1952 के चेप्टर IV के प्रभाव वाली खान में बिस्फोटक अनुज्ञप्ति जारी करने का अधिकार इस अधिनियम की धारा 57 (i) के अनुरूप मुख्य निरीक्षक डीजीएमएस को दिया गया है जबकि इस अधिनियम की धारा 3(3) तथा MMDR Act, 1957 की धारा 3 में प्रस्तावित lease area की परिभाषा के अनुरूप non mineralized area के लिए मांइस तथा आनर का स्टेटस डीजीएमएस द्वारा ही प्रदान किया जा सकता है।
मांइस एकट 1952 की धारा 3(1) (b) में प्रस्तावित प्रावधानों से तथा MMDR Act, 1957 की धारा 4(1) में प्रस्तावित प्रावधानों से यह स्पस्ट है कि मांइस एकट 1952 की धारा 3(1) (b) में प्रकाशित खनिजों का इस धारा के अनुरूप किया जाने वाला उत्खनन ही एक मात्र ऐसा उत्खनन है जिसे सभ्य समाज की मूल भूत जरूरतों की पूर्ति के लिए मांइस एकट 1952: MMDR Act, 1957 तथा EP Act, 1986 के तहत अधिसूचित पर्यावरणीय अधिसूचना, 2006 के प्रभाव से मुक्त किया गया है। वहीं Mines Act, 1952 की धारा 3(1) (b) में प्रकाशित सभी खनिजों में lime stone ही ऐसा खनिज है जिसे MMDR Act, 1957 के second schedule में खनिज के रूप में तथा इस पर सरकार के अधिकार के मूल्य के साथ, MMDR Act, 1957 की धारा 5 (2) तथा धारा 10 के अनुरूप नियमित करने के लिए प्रकाशित किया गया है
सर्वोच्य न्यायालय में गठित नौ जजों की संविधान पीठ ने यह स्पस्ट किया है कि MMDR Act, 1957 के सेकेंड शिडयूल में खनिजों के लिए प्रस्तावित रायल्टी भूमि में पड़े हुए खनिज पर सरकार के अधिकार का मूल्य है। MMDR Act, 1957 के प्रभाव वाले खनिजों का खनन पट्टा आवंटित करने का अधिकार राज्य के खान मंत्रालय/विभाग को धारा 13 तथा 15 में प्राप्त है ,जबकि चूना पत्थर के अतिरिक्त मांइस एकट 1952 की धारा 3(1) (b) में प्रकाशित खनिजों का इस अधिनियम की धारा 3(3) के अनुरूप किया जाने वाला उत्खनन सिर्फ वैसी भूमि में किया जा सकता है जिसे डीजीएमएस ने खान तथा खान स्वामी के रूप में नियमित किया है और इसी तथ्य की पुस्टि MMDR Act, 1957 संशोधित 2015 की धारा 3 में प्रस्तावित lease area की परिभाषा भी करती है। Lease area की परिभाषा में प्रकाशित non mineralized area वैसी भूमी है जिसे खान के रूप में खान में किये जाने वाले उपक्रमों के लिए नियमित करने से MMDR Act, 1957 की धारा 5 (2) तथा धारा 10 राज्य सरकार को प्रतिबंधित करती है अथवा यह वैसी भूमी है जिसमें खनिज सरकार के अधिकार का नहीं है। MMDR Act, 1957 की धारा 4 (1) से यह स्पस्ट है कि इस अधिनियम के प्रभाव वाले किसी भी खनिज की खोज अथवा उनका उत्तखनन इस अधिनियम में mineral concession प्राप्त करके ही किया जा सकता है और धारा 5(2) (a) के अनुरूप भूमी में prospecting क्रिया कलाप को पूर्ण किये बिना तथा भारत सरकार द्वारा निर्धारित खनिज तत्वों की निर्धारित मानकों के अनुरूप पहचान प्रमाणित किये बिना किसी भी भूमी का नियमन mining lease के रूप में नहीं हो सकता है । MMDR Act, 1957 की धारा 13 में भारत सरकार द्वारा गठित नियमावली, 2016 mineral concession को परिभाषित करती है और इसके अनुरूप mineral concession सिर्फ prospecting license, prospecting license तथा mining lease के रूप में ही आवंटित किया जा सकता है। MMDR Act, 1957 संशोधित 1972 की धारा 15 में प्रस्तावित quarry lease का अर्थ मांइस एकट 1952 की धारा 1 में परिभाषित open cast working की परिभाषा प्रकाशित करती है।
MMDR Act, 1957 की धारा 15 से राज्य को prospecting license आवंटित करने का अधिकार MMDR amendment Act 56 of 1972 के द्वारा विलोपित किया गया है तथा इसके statement of objects and reason के Clause (viii) से राज्य सरकार को निर्देशित किया गया है कि राज्य सरकार अपने अधिकारों को समझते हुए ऐसे नियम बनाए जिससे उसके पदाधिकारियों को यह अधिकार दिया जा सके जिसके तहत वे वैसी भूमी में प्रवेश करके इस अधिनियम के प्रभाव वाले खनिज की जांच कर सकें जिस भूमी में खनिज पर लोगों का निजी अधिकार है। इसकी ब्याख्या के लिए जरुरी है कि पदाधिकारी संविधान की सातवीं अनुसूची में राज्य सूची (List- II) की इंट्री रेलवे 49 तथा 50 का परीक्षण करें। भारत सरकार के उपरोक्त कथन से यह स्पस्ट है कि सभी खनिजों पर सरकार को अधिकार प्राप्त नहीं है और इसी लिए धारा 5 (2) (a) में सरकार के अधिकार के खनिज की पहचान की विधी भारत सरकार ने The Minerals (Evidence of the Mineral Contents) Rules, 2015 के रूप में प्रकाशित की है , जबकि इससे पहले इसका प्रकाशन MMDR Act, 1957 की धारा 18 में बनाई गई नियमावली The Minerals (Conservation and Development) Rules, 1988 में किया गया था जिसे अब नई नियमावली, 2016 बना कर निरस्त किया गया है। Mines Act, 1952 की धारा 3 (1) (b) तथा MMDR Act, 1957 की धारा 5 (2) (a) एवं 10 के प्रावधानों के अनुरूप माननीय सर्वोच्य न्यायालय ने Mines Act, 1952 की धारा 3(1) (b) के अनुरूप किये जाने वाले उत्तखनन को बन भूमी में यह कह कर प्रतिबंधित नहीं किया गया है कि राज्य सरकार बन भूमी में अथवा बन प्राणी आश्रयनी की सीमाओं के बाहर घोषित किये गए एक किलोमीटर के सुरक्षित क्षेत्र में mining activity के लिए कोई भी mining license जारी नहीं करेंगी।
सर्वोच्य न्यायालय के इन्हीं निर्देशों के अनुरूप भारत सरकार ने eco sensitive zone के लिए घोषित की जाने वाली सभी अधिसूचनाओं में mining activity को प्रतिबंधित करते हुए यह
प्रस्तावित किया है कि लोगों की बुनियादी जरुरत का उतखनन अधिसूचित क्षेत्र में किया जा सकेगा उपरोक्त सभी वैधानिक प्रावधानों के आलोक में यह जरुरी है कि JMMC Rules, 2004 संशोधित 2017 की अनुसूची 2 में प्रकाशित लघु खनिजों का नियमन इस नियमावली में परिभाषित सक्षम पदाधिकारियों के द्वारा नियमावली के नियम 3 के अनुरूप मांइस एकट 1952: MMDR Act, 1957 तथा MMDR amendment Act 56 of 1972 के statement of objects and reason के Clause (vii) के अनुरूप बनाई गई नियमावली, 1972 के मूल प्रावधानों के अनुरूप ही किया जाए तथा इस नियमावली में MMDR Act, 1957 की धारा 5 (2) (a) तथा (b) के अनुरूप प्रस्तावित नियमों को नियमावली को सिर्फ नियमावली की अनुसूची 2 (क) में प्रकाशित लघु खनिजों पर प्रभावी किया जाए । अगर JMMC Rules, 2004 संशोधित 2017 में सक्षम पदाधिकारियों के द्वारा अपने कर्तब्यों का निर्वहन Mines Act, 1952 की धारा 3 की उपधारा 1 (b) तथा उपधारा 3 एवं MMDR Act, 1957 के तहत परिभाषित lease area, mineral concession, illegal mining तथा run of mine के अनुरूप नहीं किया जाता है और JMMC Rules की अनुसूची 2 में प्रकाशित लोगों के निजी अधिकार के खनिजों का नियमन MMDR Act, 1957 के अनुरुप प्रस्तावित प्रावधानों के अनुरूप किया जाता है तो यह नियम 3 के अनुरूप Mines Act, 1952: MMDR Act, 1957 में प्रस्तावित प्रावधानों तथा प्रतिबंधों की अवहेलना होगा साथ ही ऐसा करना लोगों के निजी अधिकारों का हनन होगा । PESA Rules, 2022 को वर्ष 2023 में राज पत्र प्रकाशित करके राज्य सरकार ने अधिसूचना की तिथि से प्रग्नित किया है और इसमें MMDR Act, 1957 की धारा 3(e) में वर्गीकृत लघु खनिज building stone, ordinary gravels, ordinary sand तथा ordinary clay के प्रबंधन का अधिकार अनुसूचित क्षेत्र के पारम्परिक प्रधान/ मुंडा को दिया गया है साथ ही कहा है कि लघु खनिजों से प्राप्त राजस्व ग्राम सभा क्षेत्र के विकास के लिए ग्राम सभा के कोष में जमा रखा जायेगा ।
ऐसा करने का उद्देश्य MMDR Act, 1957 की धारा 3 (e) में वर्गीकृत लघु खनिज building stone, ordinary gravels, ordinary sand तथा ordinary clay पर संवैधानिक रूप से लोगों का निजी अधिकार है और लोगों की बुनायादी जरूरतों के लिए इनका उत्तखनन Mines Act, 1952 की धारा 3(1) (b) के अनुरूप करना लोगों का मौलिक अधिकार है जिसे आरक्षित बन भूमी अथवा विधिवत गठित बन प्राणी आश्रयनी के संरक्षित क्षेत्र के अतिरिक्त किसी भी निजी भूमी में अथवा ग्रामसभा की सहमती प्राप्त सार्वजनिक भूमी में तथा अन्य बन भूमी में प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है। PESA Act के प्रभाव वाले क्षेत्र में पदाधिकारियों का अधिकार भी PESA Rules, 2022 के द्वारा राज्य सरकार ने सिमित किया है । अतः यह जरुरी है कि अनुसूचित क्षेत्र में नियुक्त पदाधिकारी इस क्षेत्र की भाषा तथा संस्कृति से परिचित हों जिससे विधी ब्यवस्था सुचारु रखी जा सके । उपरोक्त वैधानिक तथ्यों के आलोक में महोदय से निवेदन है कि मानव श्रम की प्रचूरता से परिचालित होने वाले Mines Act, 1952 की धारा 3 (1) (b) में प्रकाशित लोगों के निजी अधिकार के खनिजों का नियमन इसके वास्तविक उद्देश्य MMDR Act, 1957 के Third Schedule में वर्गीकृत किये गए मूल्यवान खनिजों का संरक्षण के उदेश्य से करने की कृपा की जाए और इनके नियमन में ऐसी किसी भी प्रक्रिया को शामिल नहीं किया जाए जो लोगों को साधारण खनिज के उत्तखनन के बुनियादी अधिकार से बंचित करे और सिर्फ एक खास वर्ग के समृद्ध लोगों को ही यह अधिकार प्रदान करे । अंत में पुनः निवेदन है कि Mines Act, 1952 की धारा 3 (1) (b) से लोगों को मिले अधिकारों को सुरक्षित करने की कृपा की जाए तथा इन खनिजों पर MMDR Act, 1957 के अनुरूप की जा सकने वाली कार्यवाही से तथा प्रक्रिया को प्रभावी करने से लघु खनिज नियमावली के पदाधिकारियों को तथा जिला खनन टास्क फ़ोर्स के पदाधिकारियों को प्रतिबंधित करने की कृपा की जाए । उक्त ज्ञापन प्रभात कुमार चूड़ीवाला द्वारा डीसी को सौंपा गया है , जिसका मोबाइल नंबर: 9234611641। है और ईमेल नंबर prabhatchuriwala @gmail. Com है। ज्ञापन के माध्यम से निम्न मांग भी रखी गई है : —-
1. राज्य के मुख्य सचिव को इस निवेदन के साथ ही वे इस प्रतिवेदन में प्रकाशित सभी वैधानिक तथ्यों के आलोक में राज्य के सभी जिला दंडाधिकारीयों को तथा खान एवं भूतत्व विभाग के पदाधिकारियों को यह निर्देश जारी करने की मांग की गई है कि MMDR Act, 1957 की धारा 3(e) में वर्गीकृत इमरती पत्थर तथा अन्य साधारण खनिज व MCR, 1949 में लघु खनिज के रूप में परिभाषित तथा प्रकाशित किया गया है और जिनको खान तथा खनिजों के नियमन तथा विकास के लिए बनाए गए अधिनियम के प्रभाव से मुक्त किया गया है। इनकका Mines Act, 1952 की धारा 3 (1) (b) के अनुरूप किया जाने वाला उत्तखनन Mines Act, 1952 के प्रभाव से भी मुक्त है। यह भी स्पष्ट किया जाए कि इन लघु खनिजों का नियमन MMDR amendment Act 56 of 1972 के statement of objects and reason के Clause (vii) के अनुरूप बनाई गई नियमावली बिहार गौण/लघु खनिज नियमावली, 1972 के तहत मूल्यवान खनिजों के संरक्षण के लिए ही किया जा सकता है न कि लोगों के वैधानिक अधिकारों को प्रतिबंधित करने के लिए और इसीलिए JMMC Rules, 2004 में नियम 3 को प्रस्तावित किया गया है।
2. प्रधान सचिव, खान मंत्रालय, भारत सरकार को इस निवेदन के साथ कि कृपया MMDR Act, 1957 संशोधित 2015 की धारा 20-A का उपयोग करके राज्य सरकारों को यह स्पस्ट करने की कृपा करें कि MMDR Act, 1957 की धारा 3(e) में लघु खनिज के रूप में वर्गीकृत minor minerals; building stone, ordinary gravels, ordinary sand तथा ordinary clay का नियमन MMDR amendment Act 56 of 1972 के statement of objects and reason के Clause (viii) के अनुरूप राज्य सूची की Entry 50 में नियम बना कर Mines Act, 1952 की धारा 3 (1) (b) में प्रस्तावित limitations तथा MMDR Act, 1957 के Third Schedule में royalty तथा dead rent के लिए किये गए खनिजों के वर्गीकरण के अनुरूप करें तथा भारत सरकार द्वारा अधिसूचित 31 लघु खनिजों का नियमन धारा 15 में तथा धारा 14 में प्रस्तावित छूट के साथ राज्य के लोगों के पक्ष करें और यह सुनिश्चित करें कि इनके नियमन से राज्य में मानव श्रम की प्रचूरता से विकसित होने वाली खदान तथा लघु उद्योगों का विकास हो सके । यह भी स्पष्ट करने की कृपा करें कि IBM द्वारा लघु खनिज building stone तथा अन्य साधारण खनिजों के संरक्षण तथा विकास के लिए धारा 18 में तथा नियमन के लिए धारा 15 में बनाई गई सभी नियमवलियां अब अस्तित्व में नहीं हैं तथा राज्य सरकारे lease area, run of mine तथा mineral concession की परिभाषा में प्रकाशित कथनों के अनुरूप ही राज्य में खनिजों का नियमन MMDR Act, 1957 की धारा 5 (2) तथा 10 में प्रस्तावित प्रतिबंधों के अनुरूप करें