अटल क्लिनिक का नाम बदलना आदिवासी अस्मिता और झारखंड की आत्मा का अपमान- रमेश हांसदा
झारखंड सरकार द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर संचालित अटल मोहल्ला क्लिनिक का नाम बदलकर मदर टेरेसा एडवांस हेल्थ क्लिनिक किए जाने पर सियासत तेज हो गई है इस निर्णय की भारतीय जनता पार्टी ने कड़ी आलोचना की है। भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य रमेश हांसदा ने इसे झारखंड की आत्मा और आदिवासी अस्मिता पर सीधा प्रहार बताया है

अटल क्लिनिक का नाम बदलना आदिवासी अस्मिता और झारखंड की आत्मा का अपमान- रमेश हांसदा
जमशेदपुर- झारखंड सरकार द्वारा अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर संचालित अटल मोहल्ला क्लिनिक का नाम बदलकर मदर टेरेसा एडवांस हेल्थ क्लिनिक किए जाने पर सियासत तेज हो गई है इस निर्णय की भारतीय जनता पार्टी ने कड़ी आलोचना की है। भाजपा अनुसूचित जनजाति मोर्चा के राष्ट्रीय कार्यसमिति सदस्य रमेश हांसदा ने इसे झारखंड की आत्मा और आदिवासी अस्मिता पर सीधा प्रहार बताया है।
रमेश हांसदा ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी केवल एक राजनेता नहीं बल्कि झारखंड राज्य के निर्माता, आदिवासी समाज के सच्चे हितैषी और भारतीय आत्मा के प्रतीक थे। उन्होंने ही झारखंड को अलग राज्य का दर्जा दिलाया, संताली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल कर भाषाई गरिमा प्रदान की, और आदिवासी कल्याण मंत्रालय की स्थापना कर आदिवासी समाज को मजबूत दिशा दी।
उन्होंने कहा कि ऐसे राष्ट्रनायक के नाम को हटाना अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण, निंदनीय और राजनीतिक तुष्टिकरण का परिचायक है। यह निर्णय झारखंड की आत्मा, उसकी सांस्कृतिक विरासत, भाषा और बलिदान की भी अवमानना है।
हांसदा ने आरोप लगाया कि झारखंड की वर्तमान सरकार जो खुद को आदिवासी हितैषी कहती है उसका यह निर्णय उसकी कथनी और करनी के बीच गहरी खाई को उजागर करता है। उन्होंने इसे आदिवासी समाज के साथ विश्वासघात करार देते हुए कहा कि यह वर्ग पीढ़ियों से संघर्ष कर अपनी पहचान बना रहा है, और ऐसे निर्णय उसकी भावना को आहत करते हैं।
उन्होंने सरकार से तीन प्रमुख मांगें रखीं: अटल जी के नाम से संचालित क्लिनिक का नाम पुनः बहाल किया जाए।
आदिवासी समाज की सांस्कृतिक, भाषाई और ऐतिहासिक अस्मिता का सम्मान सुनिश्चित किया जाए
राजनीतिक स्वार्थ के लिए आदिवासी प्रतीकों और महापुरुषों का अपमान तुरंत रोका जाए।
रमेश हांसदा ने चेतावनी दी कि अगर सरकार ने इस गंभीर भूल को शीघ्र नहीं सुधारा, तो झारखंड का आदिवासी समाज और राष्ट्रभक्त जनमानस लोकतांत्रिक तरीके से इसका करारा जवाब देंगे।