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134 वें डूरंड कप ट्रॉफियों को राष्ट्रपति ने हरी झंडी दिखा कर किया रवाना राष्ट्रपति भवन में हुआ भव्य आयोजन

विरासत और राष्ट्रीय गौरव से भरे इस ऐतिहासिक क्षण में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र (आरबीसीसी) से 134 वें इंडियन ऑयल डूरंड कप एशिया का सबसे पुराना और भारत का सबसे प्रतिष्ठित फुटबॉल टूनर्मिट, औपचारिक रूप से प्रारंभ करते हुए तीन प्रतिष्ठित डूरंड कप ट्रॉफियों को रखाना किया

134 वें डूरंड कप ट्रॉफियों को राष्ट्रपति ने हरी झंडी दिखा कर किया रवाना राष्ट्रपति भवन में हुआ भव्य आयोजन

नई दिल्ली- विरासत और राष्ट्रीय गौरव से भरे इस ऐतिहासिक क्षण में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने आज राष्ट्रपति भवन सांस्कृतिक केंद्र (आरबीसीसी) से 134 वें इंडियन ऑयल डूरंड कप एशिया का सबसे पुराना और भारत का सबसे प्रतिष्ठित फुटबॉल टूनर्मिट, औपचारिक रूप से प्रारंभ करते हुए तीन प्रतिष्ठित डूरंड कप ट्रॉफियों को रखाना किया

यह लगातार दूसरा वर्ष है जब राष्ट्रपति ने यह प्रतीकात्मक कार्य किया है, जो डूरंड कप की खेल सेवा और राष्ट्र भक्ति के संगम के रूप में स्थायी महत्व की पुष्टि करता है। यह समारोह स्वतंत्रता के बाद की उस गौरवशाली परंपरा को भी जारी रखता है, जिसमें देश के सर्वोच्च सेनापति की डूरंड कप से सीधी भागीदारी रही है।

आरबीसीसी में आयोजित इस समारोह में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी, नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी, वायुसेना प्रमुख एयर मार्शल अमर प्रीत सिंह, और ईस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ तथा डूरंड कप आयोजन समिति (डीसीओसी) के संरक्षक लेफ्टिनेंट जनरल आर.सी. तिवारी उपस्थित थे। इस अवसर पर अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित प्रसिद्ध भारतीय फुटबॉलर संदेश झिंगन भी मौजूद थे।

इस अवसर पर राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि डूरंड कप भारत की फुटबॉल विरासत और सशस्त्र बलों की खेलों के प्रति प्रतिबद्धता का जीवंत प्रतीक है उन्होंने कहा कि फुटबॉल करोड़ों लोगों के दिलों में खास जगह रखता है। यह केवल एक खेल नहीं, बल्कि जुनून है। फुटबॉल रणनीति, सहन शक्ति और सामूहिक प्रयास का प्रतीक है। डूरंड कप जैसे आयोजन खेल की भावना को बढ़ावा देने के साथ-साथ अगली पीढ़ी के फुटबॉल खिलाड़ियों को विकसित करने का मंच प्रदान करते हैं। उन्होंने डूरंड कप की भावना को जीवित रखने और उसे प्रोत्साहित करने में सशस्त्र बलों की भूमिका की सराहना की

मुख्य रक्षा अझक्ष जनरल अनिल चौहान ने कहा कि डूरंड कप हमारे सशस्त्र बलों और देश की सर्वोत्तम परंपराओं का प्रतीक है-साहस, अनुशासन और एकता की विरासत। इस ऐतिहासिक प्रतियोगिता के एक और अध्याय की शुरुआत पर हमें भारत की राष्ट्रपति की उपस्थिति का गौरव प्राप्त हुआ है। यह आयोजन खेल, सेवा और भारतीय भावना के अटूट संबंध को फिर से स्थापित करता है

ईस्टर्न कमांड के जी ओसी-इन-सी और डीसीओसी के संरक्षक लेफ्टिनेंट जनरल आर. सी. तिवारी ने भी अपने संबोधन में देश की युवा फुटबॉल प्रतिभाओं के लिए डूरंड कप के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा, ‘सशस्त्र बलों की ओर से भारतीय सेना द्वारा आपोजित डूरंड कप एक फुटबॉल टूर्नामेंट से कहीं अधिक है। यह भारत की एकता में विविधता का उत्सव है, प्रतिस्पर्धा के माध्यम से चरित्र निर्माण का विश्वास है और अनुशासन, टीमवर्क और आत्मबल जैसे समय सिद्ध मूल्यों के जरिए अगली पीढ़ी को तैयार करने का दायित्व है।

कई बार राष्ट्रीय टीम की कप्तानी कर चुके संदेश झिंगन ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि हम आज केवल एक ट्रॉफी का अनावरण नहीं कर रहे हैं, बल्कि उस विरासत और सदियों पुरानी परंपरा का उत्सव मना रहे हैं, जिसने भारतीय सेना की अटूट प्रतिबद्धता और बलिदान के बल पर भारतीय फुटबॉल की यात्रा को आकार दिया है वह परंपरा है डूरंड कप

दिलूनी क्षेत्र के जीओसी और डूरंड फुटबॉल टूर्नामेंट सोसायटी की स्टैंडिंग वर्किंग कमेटी के अध्यक्ष लेफ्टिनेंट जनरल भवनीश कुमार ने अपने संबोधन में कहा, “डूरंड फुटबॉल टूर्नामेंट सोसायटी लंबे समय से भारत में फुटबॉल को प्रोत्साहित करने की उत्कृष्ट परंपरा का प्रतीक रही है। हम इस टूर्नामेंट में भाग लेने वाली सभी टीमों को सफल और जोशपूर्ण मुकाबलों के लिए शुभकामनाएं देते हैं
डूरंड कप, राष्ट्रपति कप और शिमला ट्रॉफी, ये तीनों प्रतिष्ठित ट्रॉफियां अब इस वर्ष की पांच मेज़बान राज्यों, पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, मेघालय और मणिपुर, की बहु-शहर यात्रा पर रवाना होंगी। यह ट्रॉफी टूर जनता में उत्साह और सामुदायिक गौरव को प्रज्ज्वलित करने का उद्देश्य लेकर टूर्नामेंट की 23 जुलाई 2025 से शुरूआत से पहले आयोजित किया जा रहा है। टूर्नामेंट का भव्य फाइनल 23 अगस्त 2025 को निर्धारित है

सपनों की विरासत, वादों का मंच

137 वर्षों से डूरंड कप केवल एक फुटबॉल टूर्नामेंट नहीं रहा यह भारत की सबसे प्रतिभाशाली युवा प्रतिभाओं के लिए लॉन्च पैड रहा है। भारत के कई दिमाज फुटबॉलर, जिन्हें आज हर घर जानता है, ने अपने राष्ट्रीय कैरियर की शुरुआत डूरंड कप की पवित्र ज़मीन से की थी।

इस टूर्नामेंट की सच्ची विरासत इसी वादे में निहित है कि देश के हर कोने के अनजाने खिलाड़ी को खुद को साबित करने पहचान बनाने और अपने सपनों को पाने का मौका मिले

इस वर्ष पहली बार डूरंड कप पांच राज्यों पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, मेघालय और मणिपुर में खेला जा रहा है। ऐसे समय में जब भारतीय फुटबॉल को नए नायकों और नई उम्मीद की तलाश है, डूरंड कप राष्ट्र निर्माण का मंच बना हुआ है एक प्रतिस्पर्धात्मक अखाड़ा, जहाँ अकादमियों, सशरक्ष बलों की टीमों और देश के सबसे दूरदराज़ इलाकों के राज्य क्लबों के होनहार खिलाड़ी आगे आकर देश को प्रेरित करते हैं।

खेल, सेवा और बलिदान का उत्सव

दूरंड कप अनुशासन, एकता और खेल कौशल का प्रतीक है। आज का यह फ्लैग ऑफ समारोह जिसमें देश की शीर्ष सेना नेतृत्व मौजूद रही, इस बात की पुष्टि करता है कि सशस्त्र बल पूरे भारत में प्रतिभाओं को निखारने और प्रतिस्पर्धी भावना को प्रोत्साहित करने के लिए कितने समर्पित हैं। जैसे-जैसे ये ट्रॉफियों देश के फुटबॉल हृदय स्थलों की यात्रा करेंगी, 134वां इंडियन ऑपल डूरंड कप न केवल रोमांचक मुकाबले, बल्कि भारत की खेल महत्वाकांक्षाओं में नए अध्याय जोड़ने का वादा करता है। मशाल जलाई जा चुकी है, मंच तैयार है अब गांवों और 13 जारों युवा खिलाड़ी इस टूर्नामेंट को केवल दर्शक की नज़र से नहीं, बल्कि सपने देखने वालों और भविष्य के चैंपियनों की नजर से देखेंगे

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