10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर बिशेष गुरु बिना ज्ञान नहीं- सुनील कुमार दे
आज गुरु पूर्णिमा है इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है हमारे सनातन हिन्दू धर्म में व्यासदेव को महान गुरु के रूप में माना जाता है क्योंकि व्यासदेव हिन्दू शास्त्र,वेद,वेदान्त,उपनिषद प पुराण,भागवत,गीता,महाभारत आदि का रचनाकार हैं अध्यात्म ज्ञान का प्रकाश व्यासदेव ने दिया है इसलिये उनको महान गुरु का स्थान दिया गया है इसी पूर्णिमा के दिन महामुनि व्यासदेव का जन्म हुआ था इसलिये इसको गुरुपूर्णिमा तथा व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है व्यासदेव का पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास है

10 जुलाई को गुरु पूर्णिमा पर बिशेष गुरु बिना ज्ञान नहीं- सुनील कुमार दे
पोटका- आज गुरु पूर्णिमा है इस पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है हमारे सनातन हिन्दू धर्म में व्यासदेव को महान गुरु के रूप में माना जाता है क्योंकि व्यासदेव हिन्दू शास्त्र,वेद,वेदान्त,उपनिषद प पुराण,भागवत,गीता,महाभारत आदि का रचनाकार हैं अध्यात्म ज्ञान का प्रकाश व्यासदेव ने दिया है इसलिये उनको महान गुरु का स्थान दिया गया है इसी पूर्णिमा के दिन महामुनि व्यासदेव का जन्म हुआ था इसलिये इसको गुरुपूर्णिमा तथा व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है व्यासदेव का पूरा नाम कृष्ण द्वैपायन वेदव्यास है ऐसे तो हमारे जीवन में गुरु अनेक है उनमें से आदिगुरु,शिक्षा गुरु और दीक्षागुरु प्रमुख हैं आदि गुरु हमलोग पिता माता को कहते हैं जिन्होंने हमें जन्म दिया है,पाल पोश के बड़ा किया है व्यवहारिक ज्ञान दिया है।उसके बाद शिक्षा गुरु जो हम विद्यालय से प्राप्त करते हैं,जिन्होंने हमे विद्या और ज्ञान देकर हमें मनुष्य बनाता है।उसके बाद दीक्षा गुरु जो हम मठ मंदिर आश्रम से प्राप्त करते है ,जो हमें अध्यात्म ज्ञान देकर जगतगुरु भगवान का दर्शन कराते हैं और मुक्ति का मार्ग दिखाते हैं इसलिए कहा जाता है कि गुरु बिना कोई ज्ञान नहीं इसके अलावे कोई भी विद्या को जब हम प्राप्त करना चाहते है चाहे तकनीकी विद्या हो अथवा साहित्य,संगीत,कला,खेल आदि विद्या को सीखना चाहते है उसके लिये हमें गुरुमुखी होना पड़ता हैं अर्थात गुरु के बिना हम कुछ नही कर सकते है इसलिए आज के दिन में लोग अपने अपने गुरु को नमन करते है,स्मरण करते हैं, पूजन करते हैं ,सम्मान करते है।दुःख की बात यह है कि आधुनिकता के चुंगल में आकर हम यह गुरु परंपरा को भूलते जा रहे हैं छोड़ते जा रहे है जिसके कारण हमारा जीवन अनुशासन हीन और भोगवादी होते जा रहा है। इसका परिणाम नैतिक और चरित्र का पतन है।इसलिए समाज में फिर गुरु परंपरा और गुरुओं का सम्मान हो गुरु पूर्णिमा के पवित्र दिन येही कामना करते हैं।