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संकट के दौर में आपके असल चरित्र और लीडरशिप एबिलिटी उजागर होता है – सीएमडी नेस्ले इंडिया

देश के प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान एक्सएलआरआई- जेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में आज “सीएक्सओ सीरीज़’ के अंतर्गत एक लेक्चर सेशन का आयोजन किया गया. इसमें नेस्ले इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश नारायणन ने छात्रों को “संकट के समय नेतृत्व” विषय पर अपने अनुभवों से अवगत कराया. श्री नारायणन ने कहा, “संकट चरित्र नहीं बनाता, वह उसे उजागर करता है.” उनके ये शब्द न केवल विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शन बने, बल्कि एक जीवन मंत्र के रूप में गूंजते रहे

संकट के दौर में आपके असल चरित्र और लीडरशिप एबिलिटी उजागर होता है – सीएमडी नेस्ले इंडिया

जमशेदपुर –  देश के प्रतिष्ठित प्रबंधन संस्थान एक्सएलआरआई- जेवियर स्कूल ऑफ मैनेजमेंट में आज “सीएक्सओ सीरीज़’ के अंतर्गत एक लेक्चर सेशन का आयोजन किया गया. इसमें नेस्ले इंडिया लिमिटेड के चेयरमैन एवं मैनेजिंग डायरेक्टर सुरेश नारायणन ने छात्रों को “संकट के समय नेतृत्व” विषय पर अपने अनुभवों से अवगत कराया. श्री नारायणन ने कहा, “संकट चरित्र नहीं बनाता, वह उसे उजागर करता है.” उनके ये शब्द न केवल विद्यार्थियों के लिए मार्गदर्शन बने, बल्कि एक जीवन मंत्र के रूप में गूंजते रहे.

कार्यक्रम का एक भावनात्मक क्षण तब आया जब दीप प्रज्वलन से पूर्व श्री नारायणन ने मंच पर चढ़ने से पहले अपने जूते उतार दिए. यह साधारण-सा दिखने वाला व्यवहार उनके विनम्र स्वभाव और आयोजकों के प्रति सम्मान को दर्शाता है.

मैगी को लेकर भारतीय युवाओं की भावनात्मक जुड़ाव के चलते जब श्री नारायणन ने उसके पुनर्निर्माण की कहानी साझा की, तो वह न केवल बौद्धिक रूप से बल्कि भावनात्मक रूप से भी छात्रों को छू गई.

यह सत्र केवल एक कॉरपोरेट भाषण नहीं रहा बल्कि इसके ज़रिए एक्सलर्स को लीडरशिप, नैतिक मूल्यों और कठिन दौर में निर्णय लेने की क्षमता को विभिन्न उदाहरण के साथ बताया गया. इस दौरान श्री नारायणन ने 2015 में मैगी संकट के दौरान नेस्ले इंडिया को जिस संयम और दूरदृष्टि से मज़बूत नेतृत्व प्रदान किया, उसका भी जिक्र इस दौरान किया गया. उन्होंने अनुभव के आधार पर उन्होंने नेतृत्व के छह अहम सिद्धांत बताए.

लीडरशिप में इन छह सिद्धांतों का समावेश है जरूरी :-

• स्पष्टता रखें, भ्रम नहीं: संकट में सबसे पहले समस्या की स्पष्ट पहचान करें.
• सही मूल्यांकन करें: संकट की गंभीरता और उसके प्रभाव को समझें.
• रणनीति तय करें: योजनाबद्ध ढंग से आगे बढ़ें और प्रगति पर नजर रखें.
• तथ्यों पर आधारित निर्णय लें: अफवाहों पर नहीं, सच्चाई पर भरोसा करें.
• जवाबदेही तय करें: हर व्यक्ति की जिम्मेदारी स्पष्ट करें.
• भावनाओं नहीं, तर्क से नेतृत्व करें: हर कदम सोच-समझकर और सच्चाई के आधार पर उठाएं.

इस व्याख्यान के लिए एक्सएलआरआई प्रबंधन की ओर से सुरेश नारायणन का आभार प्रकट किया गया. बताया गया कि उनका यह अनुभव छात्रों के लिए सिर्फ एक व्याख्यान नहीं, बल्कि मूल्य-आधारित नेतृत्व की जीवंत पाठशाला साबित हुआ. संस्थान प्रबंधन ने कहा कि वह ऐसे नेतृत्व को प्रेरित करने के लिए प्रतिबद्ध है, जो सत्य, संवेदना और उद्देश्य से जुड़ा हो

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