राज्यपाल के आदेश से राज्य के एक लाख से अधिक छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटका डिग्री कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में नहीं होगा इंटर में नामांकन
राज्यपाल का आदेश राजनीति से प्रेरित - कुणाल षाडंगी कुणाल षाडंगी ने कहा कि राज्यपाल का आदेश निश्चित रूप से राजनीति से प्रेरित है. राज्य सरकार को बदनाम करने की एक कोशिश है. उन्होंने भारत सरकार और भाजपा पर भी आरोप लगाया कि जानबूझकर राज्य की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने की साजिश की जा रही है. इसके पहले भी केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से अचानक लिए गए फैसलों ने देश के सामने कई तरह की समस्याएं खड़ी कर दी थी. पहले कार्यकाल में कई तरह के त्रुटिपूर्ण नीतिगत फैसले लिये. जीएसटी को लागू करना, नोटबंदी लागू करना, कोरोना काल में लॉकडाउन जैसे अदूरदर्शिता पूर्ण नीतिगत फैसलों की वजह से देश को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा

राज्यपाल के आदेश से राज्य के एक लाख से अधिक छात्र-छात्राओं का भविष्य अधर में लटका डिग्री कॉलेजों और विश्वविद्यालयों में नहीं होगा इंटर में नामांकन
जमशेदपुर – झारखंड के राज्यपाल द्वारा बिना समय दिये राज्य में लागू की गई नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति से राज्य की शिक्षा व्यवस्था के चौपट होने का खतरा पैदा हो गया है. बच्चों का भविष्य अधर में लटक गया है. इस वर्ष दसवीं की परीक्षा पास करने वाले बच्चों का नामांकन डिग्री कॉलेज और यूनिवर्सिटी में इंटरमीडिएट में तो नहीं ही किया जाना है मुुद्दे जो लड़के पहले से प्लस टू प्रथम वर्ष की पढ़ाई पूरी कर चुके हैं उनके लिए भी वैकल्पिक व्यवस्था के सृजन का आदेश दिया गया है जो राज्य की शिक्षा व्यवस्था को पूरी तरह बेपटरी कर दिया है उपरोक्त बातें आयोजित संवाददाता सम्मेलन में झारखंड मुक्ति मोर्चा के प्रदेश प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने दी. उन्होंने बताया कि अचानक से राज्यपाल के आदेश से राज्य की शिक्षा व्यवस्था चरमरा सी गई है. राज्य के डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट की 1860 सीटें खत्म कर दी गई है राज्य के इंटरमीडिएट कॉलेज में 70000 सीटें हैं जहां बच्चों का नामांकन हो पाएगा. ऐसे में इस वर्ष पास आउट हुए बच्चों का भविष्य क्या होगा
राज्य में इंटर कॉलेजों की संख्या कम, शिक्षकों की भी भारी कमी
राज्य पर्याप्त इंटर कॉलेज नहीं हैं. जो कॉलेज हैं भी उसमें प्रर्याप्त शिक्षक नहीं है. गुणवत्तापूर्ण शिक्षा वर्तमान परिपेक्ष में बच्चों को नहीं दी जा सकती है ऐसे में राज्यपाल के आदेश को इंप्लीमेंट किया जाना काफी कठिन है. पूर्व विधायक सह राज्य के पार्टी प्रवक्ता कुणाल षाडंगी ने बताया कि राज्य सरकार वैकल्पिक व्यवस्था के लिए प्रयासरत है. बच्चों के भविष्य के साथ नाइंसाफी न हो इसकी पूरी कोशिश की जा रही है. मान्यता प्राप्त के साथ-साथ वित्त रहित और वित्त सहित इंटर कॉलेज में बच्चों के नामांकन के निर्देश राज्य के शिक्षा मंत्री की ओर से दिये गये हैं. बावजूद इसके इन कॉलेज में शिक्षकों की कमी की वजह से बच्चों को बेहतर और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा नहीं दी जा पायेगी ऐसे में आने वाले समय में बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ होना लाजमी है
राज्यपाल का आदेश राजनीति से प्रेरित – कुणाल षाडंगी
कुणाल षाडंगी ने कहा कि राज्यपाल का आदेश निश्चित रूप से राजनीति से प्रेरित है. राज्य सरकार को बदनाम करने की एक कोशिश है. उन्होंने भारत सरकार और भाजपा पर भी आरोप लगाया कि जानबूझकर राज्य की शिक्षा व्यवस्था को चौपट करने की साजिश की जा रही है. इसके पहले भी केंद्र सरकार की नीतियों की वजह से अचानक लिए गए फैसलों ने देश के सामने कई तरह की समस्याएं खड़ी कर दी थी. पहले कार्यकाल में कई तरह के त्रुटिपूर्ण नीतिगत फैसले लिये. जीएसटी को लागू करना, नोटबंदी लागू करना, कोरोना काल में लॉकडाउन जैसे अदूरदर्शिता पूर्ण नीतिगत फैसलों की वजह से देश को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा. जिसके दूरगामी परिणाम हुए
राज्यपाल को बच्चों के भविष्य की चिंता नहीं- कुणाल षाडंगी
श्री षाडंगी ने कहा कि अगर केंद्र सरकार को राज्य के बच्चों की और राज्य के शिक्षा की इतनी ही चिंता होती तो नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति को 2026 के पहले लागू नहीं किया जाना चाहिए था. केन्द्र सरकार को राज्य की सरकार को पर्याप्त समय दिए जाने की जरूरत थी ताकि वह अपनी शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त कर ले नए सिरे से हाई स्कूलों से इंटरमीडिएट को जोड़ा जा सके, ताकि शिक्षकों की नियुक्ति का समय मिल जाए. बेहतर शिक्षक नियुक्त किये जा सके. प्लस टू में लाइब्रेरी और साइंस के लिए लैब की उचित व्यवस्था की जा सके. श्री षाडंगी ने कहा कि राज्य को बदनाम करने की साजिश और शिक्षा के मौलिक अधिकारों से छात्रों को वंचित किए जाने की केंद्र सरकार की साजिश से राज्य की शिक्षा व्यवस्था पर बुरा असर पड़ेगा केंद्र सरकार को संघीय ढांचे में समन्वय बनाकर चलने की जरूरत है।