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महाराणा प्रताप की जयंती भारतीय जन महासभा के अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने अपने आवास में मनायी

श्री पोद्दार ने कहा कि महाराणा के वंशज पिछले 400 वर्षों से उनकी जयंती ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को ही मनाते हैं। बताया कि महाराणा ने कभी घास की रोटी नहीं खाई। घास की रोटी बनती भी नहीं है। वे जंगलों में कभी नहीं रहे। वे अपने कबीले के लोहार जाति के लोगों के घरों में रहे।वहां फिकार की रोटी खाई। यह गेहूं के जैसा ही एक अनाज होता है

महाराणा प्रताप की जयंती भारतीय जन महासभा के अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने अपने आवास में मनायी

इस अवसर पर श्री पोद्दार ने कहा कि महाराणा के वंशज पिछले 400 वर्षों से उनकी जयंती ज्येष्ठ शुक्ल तृतीया को ही मनाते हैं। बताया कि महाराणा ने कभी घास की रोटी नहीं खाई। घास की रोटी बनती भी नहीं है। वे जंगलों में कभी नहीं रहे। वे अपने कबीले के लोहार जाति के लोगों के घरों में रहे।वहां फिकार की रोटी खाई। यह गेहूं के जैसा ही एक अनाज होता है। हमलोगों को गलत इतिहास पढ़ाया गया। अब सही इतिहास लोगों के सामने आ रहा है इसके अलावे अनेक स्थानों पर भी जयंती मनायी गयी।

जयंती मनाने वालों में श्री पोद्दार के अलावे मिश्री लाल विश्वकर्मा, कैलाश चंद जांगिड़, विजय कुमार गोयल सुखेन मुखोपाध्याय, मधु सिन्हा, श्रवण देबूका, ओम प्रकाश अग्रवाल, दुर्गा मुखोपाध्याय, मेघाश्री मुखोपाध्याय, निशा वाणी, अंतर्यामी पांडा, मधु परिहार, अपूर्व सिंह, डॉ. आर. एस. अग्रवाल आदि के नाम सम्मिलित है।

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