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कोवाली गांव में 29 वां अपुर पाठशाला खोला गया मातृभाषा मातृ दुग्ध समान है जिसका कोई विकल्प नहीं-  सुनील कुमार दे

सुनील कुमार दे ने कहा कि मातृभाषा मातृ दुग्ध समान है जिसका कोई विकल्प नहीं है इसलिए सभी को मातृभाषा सीखना चाहिए शंकर चंद्र गोप ने कहा कि हमारे भावी पीढ़ी को अपुर पाठशाला के माध्यम से बंगला सीखाने के लिए माताजी आश्रम और बंग समिति का एक छोटा सा प्रयास है

कोवाली गांव में 29 वां अपुर पाठशाला खोला गया
मातृभाषा मातृ दुग्ध समान है जिसका कोई विकल्प नहीं-  सुनील कुमार दे

जमशेदपुर- आज  कोवाली गांव के विशाल इंफोटेक कंप्यूटर सेन्टर में बच्चे को बंगला ज्ञान की शिक्षा देने के लिए माताजी आश्रम हाता और झारखंड बंगभाषी उन्नयन समिति के संयुक्त तत्वावधान में अपुर पाठशाला खोला गया।माताजी आश्रम का यह 19 वां तथा समिति का 29 वां अपुर पाठशाला है।पाठशाला का शुभारंभ शंकर चंद्र गोप,सुनील कुमार दे और जनमेजय सरदार ने धूप दीप प्रज्वलित कर तथा मां सरस्वती की प्रतिकृति पर माल्यार्पण कर के किया

उसके बाद सरस्वती संगीत प्रस्तुत की गई।अपुर पाठशाला खोलनेवाले मुख्य सहयोगी आशुतोष मंडल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया।इस अवसर  पर सुनील कुमार दे ने कहा कि मातृभाषा मातृ दुग्ध समान है जिसका कोई विकल्प नहीं है इसलिए सभी को मातृभाषा सीखना चाहिए शंकर चंद्र गोप ने कहा कि हमारे भावी पीढ़ी को अपुर पाठशाला के माध्यम से बंगला सीखाने के लिए माताजी आश्रम और बंग समिति का एक छोटा सा प्रयास है।जय हरि सिंह मुंडा ने कहा कि बंगला झारखंड राज्य का एक द्वितीय राजभाषा है जो बहुत ही सरल और मधुर है।नौकरी के लिए एक स्थानीय भाषा जानना जरूरी है

इसलिए जिसकी मातृभाषा बंगला है वे सभी बंगला भाषा सीखें।जनमेजय सरदार ने बच्चे को अपना चरित्र निर्माण करने पर भी सलाह दी।कृष्ण मंडल ने बच्चे को शिक्षा के साथ संस्कार शिक्षा पर भी बल दिया।सनत मंडल ने आज के समय में मातृभाषा को अपनाने के लिए बच्चे को अनुरोध किया।इस अवसर पर गाजुड़ संस्था की ओर से कुल 15 बच्चे को बंगला सीखने के लिए वर्ण परिचय निशुल्क प्रदान की गई।सुनील कुमार दे ने पहला बंगला क्लास लिया।अंत में धन्यवाद ज्ञापन उज्वल मंडल ने किया।इस अवसर पर नित्यानंद गोस्वामी, बलराम गोप,रामेश्वर पात्र, स्वदेश मंडल आदि के अलावे बंगला सीखने वाले बच्चे उपस्थित थे।शिक्षक आशुतोष मंडल और स्वदेश मंडल ने सप्ताह में एक दिन निःशुल्क बंगला भाषा सीखाएंगे

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