कानूनी क्षेत्र मे झारखंड को सभी तरह से आत्मनिर्भर बनाना जरूरी: राजेश शुक्ल
झारखंड स्टेट बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन और राज्य के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने कहा है कि कानून के क्षेत्र में झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है

कानूनी क्षेत्र मे झारखंड को सभी तरह से आत्मनिर्भर बनाना जरूरी: राजेश शुक्ल
झारखंड स्टेट बार काउंसिल के वाइस चेयरमैन और राज्य के वरिष्ठ अधिवक्ता राजेश कुमार शुक्ल ने कहा है कि कानून के क्षेत्र में झारखंड को आत्मनिर्भर बनाने की जरूरत है
श्री शुक्ल ने आज झारखंड के राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार और झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ईमेल भेजकर झारखंड में स्पेशल कोर्ट के तहद सभी जिला और अनुमंडल न्यायालयों में स्पेशल पी पी की नियुक्ति संबंधित जिला और अनुमंडल बार एसोसिएशन के अनुभवी और विषय के जानकार अधिवक्ताओं के बीच से करने का आग्रह किया है
श्री शुक्ल ने जमशेदपुर में सी बी आई और निगरानी कोर्ट स्थापित कराने के साथ साथ मानवाधिकार एक्ट कोर्ट, पर्यावरण एक्ट कोर्ट,अनुसूचित और अनुसूचित जनजाति कोर्ट, तथा बाल अधिकार कोर्ट की स्थापना कराने का आग्रह भी किया है साथ ही सभी जिलों में स्पेशल पी पी की नियुक्ति अधिवक्ताओं के बीच से ही कराने का आग्रह भी किया है वहीं 50 प्रतिशत लोक अभियोजक और अपर लोक अभियोजक बार एसोसिएशन के अनुभवी अधिवक्ताओं के बीच से भी बनाने का आग्रह किया है
श्री शुक्ल ने लिखा है कि झारखंड में कानूनी क्षेत्र में आत्मनिर्भरता के लिए यह आवश्यक है कि तकनीकी और डिजीटलाईज प्रक्रिया से झारखंड के सभी स्तर के न्यायालय परिपूर्ण हो, एफआईआर, केस डायरी से लेकर चार्जशीट और विभिन्न न्यायालयों के निर्णय भी डिजिटलाईट हो जाय l अदालती कारवाई भी पेपरलेस हो जाय, इस दिशा मे केंद्र सरकार ने भी शानदार पहल की है l राज्य सरकार भी कानूनी आत्मनिर्भरता में तत्परता और मुस्तैदी दिखाए तो इसके बेहतर परिणाम निचले स्तर पर भी दिखेंगे l इस दिशा मे न्यायालयों में तेजी से प्रयास हो रहे हैं लेकिन राज्य सरकार की इच्छा शक्ति इस दिशा में और प्रबल हो जाय तो और भी सकारात्मक परिणाम देखने को मिलेगा
श्री शुक्ल ने लिखा है कि भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 में टेक्नोलॉजी के प्रयोग को बढ़ावा दिया गया है उसके अनुरूप न्यायालयों में और पुलिस मुख्यालयों में इलेक्ट्रॉनिक और डिजिटल तकनीक की बेहतर व्यवस्था आवश्यक है l केंद्र सरकार के साथ झारखंड सरकार इस दिशा में कदम बढ़ाए तो कानूनी क्षेत्र मे झारखंड आत्मनिर्भर बन जायेगा l इसके साथ साथ फॉरेंसिक जांच को और सशक्त तथा प्रभावी बनाने के लिए फॉरेंसिक साइंस को राज्य सरकार को बढ़ावा देने की आवश्यकता है l इसके लिए राज्य में बेहतर शिक्षण संस्थान बनाने की भी जरूरत है ताकि वहां से उत्कृष्ट प्रशिक्षण मिल सके l