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हरिणा पर्व और हरिणा मेला 15 जून से शुरू हो रहा है हरिणा आज तीर्थ का रूप ले चुका है- सुनील कुमार दे

झारखंड के ऐतिहासिक हरिणा मेला आगामी 15 जून 2025 से शुरू होने जा रहा है।पहले हरिणा पर्व था अभी हरिणा मेला हो गया है।लोक कथा अनुसार हरिणा में बाबा भोलेनाथ का आविर्भाव और प्रचार आज से करीब 400 साल पूर्व हूआ है एक गाय के माध्यम से 1856 साल से नियमित रूप से एक झोपड़ी में हरिणा बाबा का पूजा पाठ हो रहा है

हरिणा पर्व और हरिणा मेला 15 जून से शुरू हो रहा है हरिणा आज तीर्थ का रूप ले चुका है- सुनील कुमार दे

पोटका – झारखंड के ऐतिहासिक हरिणा मेला आगामी 15 जून 2025 से शुरू होने जा रहा है।पहले हरिणा पर्व था अभी हरिणा मेला हो गया है।लोक कथा अनुसार हरिणा में बाबा भोलेनाथ का आविर्भाव और प्रचार आज से करीब 400 साल पूर्व हूआ है एक गाय के माध्यम से 1856 साल से नियमित रूप से एक झोपड़ी में हरिणा बाबा का पूजा पाठ हो रहा है हरिणा पर्व और हरिणा मेला हो रहा है।आज यह एक मेला ही नहीं बल्कि तीर्थ का रूप ले लिया है।तीन साल पहले बाबा की डेरा पक्की हुई है प्रतिदिन बाबा की पूजा होती है, सोमवार को ज्यादा भीड़ लगती है।सावन में श्रावणी मेला के साथ भगवा रंग में रंग जाता है हरिणा बाबा दरवार जेठ संक्रांति जिसको रज संक्रांति कहा जाता है, में हरिणा पर्व तथा हरिणा मेला होता है।यह मुक्तेश्वर धाम हरिणा का वार्षिक उत्सव भी है।मुक्तेश्वर धाम में बाबा के मंदिर के अलावे काली मंदिर,गणेश मंदिर,हरि मंदिर,माँ पौड़ी मंदिर,हनुमान मंदिर,गुफा मंदिर,जाहेर थान,यज्ञ शाला,विवाह मंडप,धुनि कुंड,बलिथान,मोहन बाबा का समाधि मंदिर और एक आकर्षणीय गेट भी है।आगामी 15 जून से हरिणा में पर्व और मेला हो रहा है।14 तारीख को जागरण,जाम डाली,गोरियाभार,छौ नृत्य होंगे।15 जून को संक्रांति है जिसदिन मूल उत्सव है।सुबह में भगता पुकुर में भगता लोग स्नान करके बाबा के दरवार में आयेंगे।उसदिन करीब दस हज़ार भगता बाबा का पूजा करेंगे।पहले पाठ भक्ता आयेंगे उसके बाद बाकी भक्ता कतार से आयेंगे।यह दृश्य देखने लायक होता है।इसी दिन रजनी फुड़ा और आगून माड़ा भी होता है।इसी दिन से मेला भी शुरू हो जाती है जो एक सप्ताह तक चलता है।हरिणा में केवल झारखंड से ही नहीं बल्कि उड़ीसा,बंगाल,बिहार राज्य से भी काफी लोग आते हैं बाबा की पूजा करने,मानत करने और मेला देखने।हरिणा आज सचमुच एक भक्ति और आस्था का केंद्र बन चुका है तथा तीर्थस्थान का रूप ले रहा है।मैं ने महातीर्थ मुक्तेश्वर धाम नामक एक पुस्तक भी लिखी है जिसमें विस्तार पूर्वक मुक्तेश्वर धाम के बारे में वर्णण करने का कोशिश किया गया है।यह पुस्तक श्रद्धालुओं के लिए गाइड का काम करेगा

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