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डॉ अशोक कुमार झा (अविचल) को मिथिला समाज ने किया सम्मानित

कोल्हान विश्वविद्यालय के साथ-साथ यूजीसी में मैथिली भाषा को बढ़ावा देने की यह पहल भाषा-प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए एक नई दिशा खोलेगी। डॉ. अशोक झा ने भी अपने संबोधन में सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि वे अपनी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से इन जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे और मिथिला की सांस्कृतिक विरासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे

डॉ अशोक कुमार झा (अविचल) को मिली महत्वपूर्ण दोहरी जिम्मेदारी, मिथिला समाज ने किया सम्मानित

जमशेदपुर- कोल्हान विश्वविद्यालय से जुड़े शिक्षाविद् डॉ. अशोक कुमार झा (अविचल) को हाल ही में दो अत्यंत प्रतिष्ठित पदों पर नियुक्त किया गया है उन्हें कोल्हान विश्वविद्यालय का प्रवक्ता सह मीडिया सेल कोऑर्डिनेटर और यूजीसी में मैथिली भाषा के नोडल ऑफिसर के रूप में पदस्थापित किया गया है यह न केवल विश्वविद्यालय के लिए गौरव की बात है, बल्कि मिथिला भाषा और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए भी एक बड़ा कदम है

डॉ. झा की इस उपलब्धि पर कोल्हान मिथिला समाज के बैनर तले एक सम्मान समारोह का आयोजन किया गया जिसमें समाज के प्रबुद्ध एवं सक्रिय सदस्यों ने उन्हें शॉल ओढ़ाकर और पुष्पगुच्छ भेंट कर सम्मानित किया। इस अवसर पर समाज ने यह स्पष्ट किया कि डॉ. झा की नियुक्ति पूरे मिथिला समुदाय के लिए गर्व की बात है और यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी

मैथिली भाषा को नियोजन नीति में शामिल करने की मांग, कोल्हान मिथिला समाज ने सौंपा ज्ञापन

समारोह में उपस्थित समाजसेवियों और बुद्धिजीवियों ने कहा कि मैथिली भाषा को राष्ट्रीय और वैश्विक मंचों पर स्थापित करने के लिए इस प्रकार की नियुक्तियाँ बेहद अहम हैं। डॉ. अशोक झा न केवल एक विद्वान हैं, बल्कि मिथिला संस्कृति के सशक्त प्रवक्ता भी हैं।

इस सम्मान समारोह में पं. विपिन झा, आकाश चंद्र मिश्र, पंकज राय, अनिल झा, रंजीत झा, शिव चंद्र झा, शिव कुमार झा (टिल्लु), अमर झा, चंदन झा, गोपालजी चौधरी, संजीव झा, नवीन कुंवर, देवेन्द्र झा, विवेकानंद झा, मिथिलेश झा सहित कई गणमान्य सदस्य उपस्थित रहे। सभी ने एक स्वर में डॉ. झा को बधाई दी और उनके उज्जवल भविष्य की कामना की

टेट से मैथिली और अन्य भाषाएं हटाने पर कोल्हान मिथिला समाज का विरोध तेज

कोल्हान विश्वविद्यालय के साथ-साथ यूजीसी में मैथिली भाषा को बढ़ावा देने की यह पहल भाषा-प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए एक नई दिशा खोलेगी। डॉ. अशोक झा ने भी अपने संबोधन में सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि वे अपनी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से इन जिम्मेदारियों का निर्वहन करेंगे और मिथिला की सांस्कृतिक विरासत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाने का प्रयास करेंगे

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