Uncategorized

भारत में निर्जीव पड़ा है दुनिया का सबसे खतरनाक फाइटर जेट एफ-35

दुनिया का तथाकथित दारोगा अमेरिका ने बहुत जोर-शोर से भारत को अपनी अनेकानेक खासियतों वाले फाइटर जेट एफ-35 बेचने की पेशकश की थी। यह दरअसल भारत को जबरिया अपना फाइटर जेट बेचने की कवायद थी। लेकिन भारत ने इस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार भारत को एफ-35 देने की इच्छा जता चुके लेकिन भारत की तरफ से सिर्फ ठंडा रिस्पांस गया

भारत में निर्जीव पड़ा है दुनिया का सबसे खतरनाक फाइटर जेट एफ-35

दुनिया का तथाकथित दारोगा अमेरिका ने बहुत जोर-शोर से भारत को अपनी अनेकानेक खासियतों वाले फाइटर जेट एफ-35 बेचने की पेशकश की थी। यह दरअसल भारत को जबरिया अपना फाइटर जेट बेचने की कवायद थी। लेकिन भारत ने इस पर कोई सकारात्मक जवाब नहीं दिया। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप कई बार भारत को एफ-35 देने की इच्छा जता चुके लेकिन भारत की तरफ से सिर्फ ठंडा रिस्पांस गया। दरअसल तकनीकी का स्थानांतरण अमेरिका करेगा नहीं और लगभग 100 मिलियन डॉलर का एक एफ-35 भारत अमेरिका की शर्तों पर खरीदेगा नहीं। भारत के कुछ तथाकथित दलाल टाइप के रक्षा विशेषज्ञों ने एफ-35 को लेकर खूब वीडियो बनाए, खूब हिंदी और अंग्रेजी में लेख लिखे लेकिन अब उनके मुंह पर ताला लग गया है। संभव है, इन यूट्यूबरों को, लेखकों को कुछ भुगतान भी किया गया हो। खैर!

14 जून 2025 को भारतीय वायुसेना के रडार पर कुछ सिग्नल दिखे। कार्यरत दक्ष रडार ऑपरेटरों ने जब आंखें चौड़ी करके देखी तो वे चौंक गये। दरअसल उन्होंने जो देखा वह उनको चौंकाने वाला ही था क्योंकि स्क्रीन पर जो फाइटर जेट दिखा वह अमेरिका का बहुप्रचारित, हाइली रेटेड फाइटर जेट एफ-35 था। दुनिया भर में यही शोर था कि एफ-35 स्टेल्थ टेक्नोलॉजी से बना हुआ है और इसे कोई देख नहीं सकता। इसकी स्पीड, फ्लाइंग पावर, थ्रस्ट पावर, मिसाइल और अन्य चीजों को लेकर जो हवा बनाई गई थी वह गुब्बारे की तरह फूट गई

दरअसल भारतीय वायुसेना के जांबाज रडार ऑपरेटरों ने एफ-35 को न सिर्फ डिटेक्ट किया बल्कि उसे आइडेंटिफाई भी कर लिया। रडार ऑपरेटर, एटीसी और एफ-35 के पायलट के बीच में बाकायदा बातचीत भी हुई और उसे तिरुवनंतपुरम में लैंडिंग की इजाजत भी मिली। जैसे ही देश-दुनिया में यह खबर फैली कि भारतीय वायुसेना के रडार में एफ-35 स्टेल्थ फाइटर जेट को डिटेक्ट और आइडेंटिफाई कर लिया गया है, पूरी दुनिया में हाहाकार मच गया। इस फाइटर जेट को बनाने वाली कंपनी लॉकहीड मार्टिन के होश फाख्ता हो गए। उन्हें यह भरोसा ही नहीं हो रहा था कि एफ-35 की स्टेल्थ टेक्नोलॉजी को भारतीय रडार ने न सिर्फ डिटेक्ट बल्कि आइडेंटिफाई भी कर लिया। कंपनी अभी भी समझ नहीं पा रही है कि चूक कहां हुई। कंपनी के सीईओ माथा पकड़े हुए हैं।

तिरुवनंतपुरम में जो एफ-35 खड़ा है, उसकी दशा को देखिए। वह विमान बीते 14 जून से वहीं खड़ा है। स्टार्ट नहीं हो पा रहा है। हिल-डुल भी नहीं पा रहा है। बताया गया कि इंजन में गड़बड़ी है। 20 टेक्निशियन्स की टीम आई। खूब मगजमारी हुई। कोई समाधान नहीं निकला। ब्रिटेन की रॉयल एयरफोर्स को लगा कि इसके हाइड्रोलिक सिस्टम में शायद कोई कमी है। उसे भी पूरा चेक किया गया। वहां भी कुछ नहीं निकला। वह फाइटर जेट जड़वत हो गया है। निर्जीव-जैसा। उस फाइटर जेट के साथ लॉकहीड मार्टिन भी जड़वत हो गई है।

बताया जाता है कि लॉकहीड मार्टिन ने एफ-35 श्रेणी के अब तक कुल 1100 यूनिट का प्रोडक्शन किया है। इनमें से अधिकांश अमेरिका के पास हैं जबकि ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, इटली, कनाडा नीदरलैंड, साउथ कोरिया, तुर्की ब्रिटेन समेत नाटो के अधिकांश देशों के पास यह फाइटर जेट है। सबसे न्यूनतम वैरियंत की कीमत 78 मिलियन डॉलर है और सबसे उन्नत वैरियंट की कीमत 122 मिलियन डॉलर। अब जिन देशों ने एफ-35 लिया है, उनकी भी हालत खराब है। वो इस सोच में दुबले होते जा रहे हैं कि अमेरिका ने एफ-35 दिया था दुनिया का सबसे शानदार फाइटर कहके, जिसकी स्टेल्थ टेक्नोलॉजी का कोई जवाब नहीं। अब इसे भारतीय रडार ने डिटेक्ट कर लिया है। वो देश समझ नहीं पा रहे हैं कि करें तो क्या करें। हर ग्राहक देश का रक्षा मंत्रालय लॉकहीड मार्टिन के लोगों से रोज बातें कर रहे हैं लेकिन उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिल रहा है।
एक नई खबर आई है जिसे सुन कर आप भी चौंकेंगे। चूंकि भारत में खड़ा एफ-35 निर्जीव-सा हो चला है और अमेरिका की भद्द पीट रही है। सो खबर यह आई कि इसे किसी परिवहन विमान में लाद कर अमेरिका ले जाएगा और लॉकहीड मार्टिन के वर्कशॉप में इसकी मरम्मत होगी। यह कब होगा किसी को पता नहीं। लेकिन आप कल्पना करें कि दुनिया का सबसे जांबाज फाइटर प्लेन एक परिवहन विमान में जब लादा जाएगा तो लॉकहीड मार्टिन की क्या इज्जत रहेगी?

इस पूरे एपिसोड में दो देश बेहद प्रसन्न हैं। पहला है भारत जिसका अब इस बला से पीछा छूटा। दूसरा है रुस जो अपनी तकनीकी के मामले में एक बार फिर से अपनी श्रेष्ठता साबित कर रहा है। बहुत जल्द ही आपको यह खबर मिल सकती है कि रुस अपना एक्चुअल स्टेल्थ फाइटर जेट एसयू-57 भारत को तकनीकी हस्तांतरण के साथ ही बेचने पर सहमति जता देगा। सहमति तो है ही, भारत को अब फैसला करना है।

भारतीय रक्षा क्षेत्र में कितना आमूल-चूल परिवर्तन आया है, इसे आप समझ सकते हैं। दो उदाहरण ही काफी हैं। पहला है, ऑपरेशन सिंदूर के दौरान चीनी एचक्यू-29 सिस्टम को धता बता कर पाकित्नात में घुस कर उसके 11 एयरबेस को बर्बाद कर देना और सकुशल वापस आ जाना। दूसरा उदाहरण है एफ-35 को न सिर्फ डिटेक्ट करना बल्कि उसे आइटेंडिफाई भी करना। ईमानदारी से देखें तो भारत ने अमेरिकी रक्षा विभाग की चूलें हिला दी हैं, बैंड बजा दी है। जिस फाइटर जेट को दुनिया का सबसे शानदार और जांबाज फाइटर जेट बना कर अमेरिका बेच रहा था, वह भारत के तिरुवनंतपुरम में निर्जीव पड़ा है। उसमें कोई हरकत नहीं है। वह स्टार्ट नहीं हो पा रहा है। वह आगे-पीछे खिसक नहीं पा रहा है। यही है अमेरिकी रक्षा जगत की सच्चाई।

आनंद सिंह
(लेखक युगांतर प्रकृति मासिक पत्रिका के प्रधान संपादक हैं)

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button
error: Content is protected !!