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भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की महानायिका झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान दिवस प्राचीन श्री विश्वकर्मा मंदिर, पहाडग़ंज, नई दिल्ली में आज भारतीय जन महासभा के द्वारा मनाया गया

संस्था के अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने बताया कि इस संग्राम के प्रारंभ करने का समय 31 मई 1857 की प्रातः 11:00 बजे का नियत किया गया था। अति उत्साह में 21 दिन पूर्व 10 मई को ही क्रांति का बिगुल फूंक दिया गया परिणामत: हमारा प्रथम स्वतंत्रता संग्राम विफल रहा। 18 जून 1858 को संग्राम की महानायिका झांसी की रानी वीरगति को प्राप्त हुई


जमशेदपुर- भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 की महानायिका झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का बलिदान दिवस प्राचीन श्री विश्वकर्मा मंदिर, पहाडग़ंज, नई दिल्ली में आज भारतीय जन महासभा के द्वारा मनाया गया

उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए संस्था के अध्यक्ष धर्म चंद्र पोद्दार ने बताया कि इस संग्राम के प्रारंभ करने का समय 31 मई 1857 की प्रातः 11:00 बजे का नियत किया गया था। अति उत्साह में 21 दिन पूर्व 10 मई को ही क्रांति का बिगुल फूंक दिया गया परिणामत: हमारा प्रथम स्वतंत्रता संग्राम विफल रहा। 18 जून 1858 को संग्राम की महानायिका झांसी की रानी वीरगति को प्राप्त हुई।

बलिदान दिवस पर पुष्पांजलि अर्पित करने वालों में प्रमुख रूप से श्री पोद्दार के अलावे संरक्षक गंगादीन जांगिड़, राज कमल, कैलाश चंद्र जांगिड़, चंपालाल सुथार, शोभा पांडेय एवं गायत्री कनेरी और अन्य कई लोग उपस्थित थे।

इसके अलावे देशभर में अनेक स्थानों पर बलिदान दिवस मनाया गया। जिसमें मुख्य रूप से सुखेन मुखोपाध्याय, ओम प्रकाश अग्रवाल, विजय कुमार गोयल, दुर्गा मुखोपाध्याय, मेघाश्री मुखोपाध्याय, डॉ ऊषा भार्गव, लक्ष्मी छाबड़ा, सीमा त्रिवेदी, मधु भदोरिया, पूनम ढलवानी, मधु परिहार ,पंकज शर्मा, अनिता यादव एवं विद्यालय के छात्र, अनीता झालीवाल, मुरारी लाल अग्रवाल डॉ आर एस अग्रवाल आदि के नाम सम्मिलित हैं।

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