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भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी ने राज्य सरकार पर बोला हमला, कहा- राज्य की शिक्षा व्यवस्था चरमराई, इंटर की पढ़ाई को लेकर राज्य सरकार की विफलता हुई उजागर

हायर एजुकेशन की स्थिति पर चिंता जताते हुए डॉ. गोस्वामी ने बताया कि कोल्हान विश्वविद्यालय के 20 अंगीभूत कॉलेजों में केवल दो में स्थायी प्राचार्य हैं, शेष में प्रोफेसर इंचार्ज के भरोसे शिक्षा व्यवस्था चल रही है। कई विभागों में एक भी शिक्षक नहीं है। उन्होंने कहा कि जेपीएससी के माध्यम से नियुक्ति राज्य सरकार का दायित्व है, लेकिन इसमें सरकार की कोई रुचि नहीं दिखती है

भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ दिनेशानंद गोस्वामी ने राज्य सरकार पर बोला हमला, कहा- राज्य की शिक्षा व्यवस्था चरमराई, इंटर की पढ़ाई को लेकर राज्य सरकार की विफलता हुई उजागर

जमशेदपुर- झारखंड भाजपा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेशानंद गोस्वामी ने झारखंड की बिगड़ती शिक्षा व्यवस्था पर राज्य सरकार को आड़े हाथों लिया है। आज जमशेदपुर महानगर के साकची स्थित जिला भाजपा कार्यालय में आयोजित संवाददाता सम्मेलन के दौरान उन्होंने कहा कि झारखंड में शिक्षा व्यवस्था पूरी तरह अराजकता की स्थिति में पहुंच गई है, और राज्य सरकार की घोर उदासीनता और कुप्रबंधन के कारण आज प्रदेश के लाखों विद्यार्थियों का भविष्य अधर में लटक गया है। इस दौरान भाजपा जमशेदपुर महानगर अध्यक्ष सुधांशु ओझा, जिला उपाध्यक्ष संजीव सिन्हा, जिला मीडिया प्रभारी प्रेम झा, सह मीडिया प्रभारी अखिल सिंह मौजूद रहे।

संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए डॉ. गोस्वामी ने कहा कि वर्ष 2020 में लाई गई नई शिक्षा नीति (एनईपी) के तहत देशभर में डिग्री कॉलेजों से इंटरमीडिएट की पढ़ाई को अलग करने का निर्देश दिया गया था। इस नीति के तहत राज्यों को स्कूलों को अपग्रेड कर इंटर की पढ़ाई की अलग व्यवस्था करने की जिम्मेदारी दी गई। अन्य विभिन्न राज्यों ने यह कार्य समय रहते कर भी लिया गया। लेकिन झारखंड की हेमंत सोरेन सरकार ने पिछले साढ़े पांच वर्षों में पर्याप्त आधारभूत संरचनाओं का विकास नहीं किया एवं शिक्षकों की बहाली में भी रुचि नहीं दिखाई। उन्होंने कहा कि झारखंड में इस वर्ष मैट्रिक परीक्षा में पास हुए चार लाख से अधिक विद्यार्थी फर्स्ट ईयर एडमिशन के लिए दर-दर भटक रहे हैं। डिग्री कॉलेजों ने इंटरमीडिएट के दाखिले बंद कर दिए हैं, परंतु राज्य सरकार यह स्पष्ट करने में असमर्थ है कि इन विद्यार्थियों का एडमिशन कहां और कैसे होगा। सरकार के पास न तो पर्याप्त विद्यालय हैं, न शिक्षक, और न ही पढ़ाई के लिए जरूरी कक्षाएं या प्रयोगशालाएं।

डॉ. गोस्वामी ने कहा कि राज्य सरकार की निष्क्रियता के कारण इंटर सेकंड ईयर के विद्यार्थियों की पढ़ाई भी अधर में लटकी हुई है। जिन छात्रों का पंजीयन जैक (झारखंड एकेडमिक काउंसिल) के माध्यम से डिग्री कॉलेजों में हुआ था, अब जब उन कॉलेजों में इंटर की पढ़ाई बंद हो रही है तो सरकार यह नहीं बता रही कि वे विद्यार्थी कहां पढ़ेंगे। उन्होंने बताया कि राज्य के डिग्री कॉलेजों में अनुबंध पर काम कर रहे हजारों शिक्षक और शिक्षकेतर कर्मियों का भविष्य भी अब संकट में है। सरकार को स्पष्ट करना चाहिए कि इनका क्या होगा। अन्यथा वे भी सड़क पर उतरने को तैयार हैं।

हायर एजुकेशन की स्थिति पर चिंता जताते हुए डॉ. गोस्वामी ने बताया कि कोल्हान विश्वविद्यालय के 20 अंगीभूत कॉलेजों में केवल दो में स्थायी प्राचार्य हैं, शेष में प्रोफेसर इंचार्ज के भरोसे शिक्षा व्यवस्था चल रही है। कई विभागों में एक भी शिक्षक नहीं है। उन्होंने कहा कि जेपीएससी के माध्यम से नियुक्ति राज्य सरकार का दायित्व है, लेकिन इसमें सरकार की कोई रुचि नहीं दिखती है।

उन्होंने कहा कि इंटर और माध्यमिक शिक्षा राज्य सरकार के अधीन है, इसमें केंद्र का कोई सीधा हस्तक्षेप नहीं होता। राज्य सरकार अपनी विफलताओं को छुपाने के लिए भ्रम की स्थिति पैदा कर रही है। जबकि सच्चाई यह है कि राज्य सरकार ने नई शिक्षा नीति लागू करने की दिशा में कोई भी तैयारी नहीं की। डॉ. गोस्वामी ने हाल ही में चाकुलिया में लाखों की पाठ्यपुस्तकें कबाड़ में बिकने की घटना का जिक्र करते हुए कहा कि यह घटना सरकार की शिक्षा व्यवस्था की पूरी तरह विफलता को उजागर करती है। जुलाई में छात्रों के बीच वितरित होने वाली नोटबुक और किताबें कबाड़ की दुकान पर मिल रही हैं। इससे यह साफ है कि शिक्षा विभाग में बिचौलियों और माफिया का बोलबाला है और सरकार का सिस्टम फेल है।

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संवाददाता सम्मेलन के दौरान डॉ दिनेशानंद गोस्वामी ने सरकार से तीन प्रमुख मांग का जिक्र किया जिनमें:-
1. इंटर में नामांकन के लिए राज्य सरकार स्पष्ट रूप से सार्वजनिक करे कि कौन-कौन से स्कूलों या कॉलेजों में किस संकाय में कितनी सीटें उपलब्ध हैं। 2. सेकंड ईयर के विद्यार्थियों का समायोजन कहां होगा और उनकी पढ़ाई कैसे चलेगी, यह सरकार तत्काल बताए। 3. डिग्री कॉलेजों में अनुबंध पर कार्यरत शिक्षकों और शिक्षकेतर कर्मियों के भविष्य को लेकर सरकार से ठोस निर्णय लेने की मांग रखी।

संवाददाता सम्मेलन के अंत में उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि झारखंड सरकार छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ बंद करे और नई शिक्षा नीति के तहत शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए शीघ्र पारदर्शी और सार्वजनिक कार्ययोजना घोषित करे। उन्होंने कहा कि अधिकांश गरीब और मध्यमवर्गीय परिवारों के विद्यार्थी सरकारी स्कूलों और कॉलेजों में पढ़ते हैं और यही वर्ग सबसे अधिक प्रभावित हो रहा है। झारखंड के विद्यार्थियों का भविष्य खतरे में है और इसकी सीधी जिम्मेदार हेमंत सरकार की शिक्षा के प्रति लापरवाही है।

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