बंगभाषियों का किसी भाषा के प्रति कोई विद्वेष और असम्मान नहीं है झारखंड सरकार हमारी मातृभाषा बंगला को झारखंड में उचित सम्मान देने का प्रयन्त करे- सुनील कुमार दे
बंगला भाषा विश्व का सबसे सरल,मधुर,उन्नत और धनवान भाषा है, विश्व में जिसका स्थान पंचम और भारत में दूसरा है।झारखंड में बंगला दूसरा राजभाषा भी है।झारखंड में 42% बंगला भाषा भाषी के लोग निवास करते हैं जिन लोगों की मातृभाषा बंगला है।24 जिलों में से 14 जिले बंगला भाषी प्रधान है। एक दिन पूरे राज्य में प्राइमरी से लेकर उच्च विद्यालय और महाविद्यालय तक सभी स्तर से बंगला भाषा की पढ़ाई होती थी और बंगला मीडियम स्कूल हुआ करते थे लेकिन दुःख की बात यह है कि झारखंड बनने के बाद झारखंड में बंगला की पढ़ाई लिखाई पूर्ण रूप से बंद हो गई और धीरे धीरे सभी बंगला मीडियम के स्कूल हिंदी मीडियम स्कूल में परिवर्तित हो गई

बंगभाषियों का किसी भाषा के प्रति कोई विद्वेष और असम्मान नहीं है झारखंड सरकार हमारी मातृभाषा बंगला को झारखंड में उचित सम्मान देने का प्रयन्त करे- सुनील कुमार दे
बंगला भाषा विश्व का सबसे सरल,मधुर,उन्नत और धनवान भाषा है, विश्व में जिसका स्थान पंचम और भारत में दूसरा है।झारखंड में बंगला दूसरा राजभाषा भी है।झारखंड में 42% बंगला भाषा भाषी के लोग निवास करते हैं जिन लोगों की मातृभाषा बंगला है।24 जिलों में से 14 जिले बंगला भाषी प्रधान है। एक दिन पूरे राज्य में प्राइमरी से लेकर उच्च विद्यालय और महाविद्यालय तक सभी स्तर से बंगला भाषा की पढ़ाई होती थी और बंगला मीडियम स्कूल हुआ करते थे लेकिन दुःख की बात यह है कि झारखंड बनने के बाद झारखंड में बंगला की पढ़ाई लिखाई पूर्ण रूप से बंद हो गई और धीरे धीरे सभी बंगला मीडियम के स्कूल हिंदी मीडियम स्कूल में परिवर्तित हो गई।अंत तक बंगला भाषा और बंगभाषी के लोग झारखंड में राजनीति का शिकार हो गए इसलिए आज पूरे राज्य में बंगला भाषी के लोग काफी दुःखी, नाराज और आक्रोशित है।अपनी भाषा,संस्कृति,सम्मान और अस्तित्व को बचाने के लिए बंगभाषी के लोग प्रतिबद्ध है तथा एकताबद्ध हो रहे हैं संगठित हो रहे हैं।विगत दिनों झारखंड में झारखंड बंगभाषी उन्नयन समिति का गठन किया गया है और समिति की ओर से अपनी अस्तित्व को बचाने के लिए लड़ाई भी शुरू कर दी गई है।इसके अलावे अपने अपने स्तर से विभिन्न बंगभाषी संगठन भी इस दिशा में काम कर रहा है।झारखंड बंगभाषी उन्नयन समिति एक तरफ झारखंड में बंगला को प्रतिष्ठित करने के लिए सरकार से आवेदन,निवेदन,धरना,प्रदर्शन आदि कर रही है दूसरी तरफ विभिन्न बंगला भाषा भाषी संगठनों के साथ मिलकर भावी पीढ़ी को बंगला भाषा सिखाने के लिए जगह जगह पर अपुर पाठशाला खोल रही है।अपुर पाठशाला का प्रभाव पूरे राज्य में अच्छा पड़ रहा है।बच्चों में बंगला सीखने के लिए काफी उत्साह देखा जा रहा है।
हमलोगों का किसी भाषा के प्रति कोई विद्वेष,हिंसा और असम्मान नहीं है।हमलोग सभी भाषा को श्रद्धा और सम्मान करते हैं लेकिन अपनी मातृभाषा बंगला के प्रति श्रद्धा और प्रेम भी रखते हैं।अपनी मातृभाषा को रक्षा करना हम सभी का नैतिक दायित्व और कर्तव्य भी है इसलिए अगर कोई हमारी मातृभाषा बंगला का असम्मान करे और अवहेलना करे तो हम आज बर्दाश्त करने का मूड में नहीं है।हमारी लड़ाई बंगला भाषा को बचाने के लिए है निजी स्तर से भी और सरकारी स्तर से भी।हम किसी भाषा को असम्मान करना और मिटाना नहीं चाहते है लेकिन अपनी भाषा को बचाना चाहते हैं झारखंड सरकार हम सभी बंगला भाषियों की भावना को समझे और हमे यथोचित सम्मान देने का प्रयन्त करे