आंध्र भक्त श्री रामा मंदिर में ब्रह्मोत्सव का चौथा दिन, भगवान वेंकटेश्वर स्वामी गरुड़ वाहन पर सवार होकर सिदगोड़ा बालाजी मंदिर पहुंच कर भक्तों को दर्शन दिया, भक्त दर्शन कर भाव-विभोर हुए
बिष्टुपुर स्थित आंध्र भक्त श्री रामा मंदिर में 56 वें ब्रह्मोत्सव का चौथा दिन आज भक्ति और उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया गया। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी भक्तों में इस पवित्र उत्सव को लेकर अपार उत्साह देखा जा रहा है। मंदिर परिसर सुबह से ही भक्ति भजनों और वैदिक मंत्रोच्चार से गूंज उठा, जहां भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी

जमशेदपुर: आंध्र भक्त श्री रामा मंदिर में ब्रह्मोत्सव का चौथा दिन, भगवान वेंकटेश्वर स्वामी गरुड़ वाहन पर सवार होकर सिदगोड़ा बालाजी मंदिर पहुंच कर भक्तों को दर्शन दिया, भक्त दर्शन कर भाव-विभोर हुए
जमशेदपुर- बिष्टुपुर स्थित आंध्र भक्त श्री रामा मंदिर में 56 वें ब्रह्मोत्सव का चौथा दिन आज भक्ति और उत्साह के साथ धूमधाम से मनाया गया। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी भक्तों में इस पवित्र उत्सव को लेकर अपार उत्साह देखा जा रहा है। मंदिर परिसर सुबह से ही भक्ति भजनों और वैदिक मंत्रोच्चार से गूंज उठा, जहां भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी
सुबह की पूजा-अर्चना: दक्षिण भारतीय रीति-रिवाजों का अनुपम संगम
आज सुबह 6:00 बजे नित्य कट्ल पूजा के साथ दिन की शुरुआत हुई। इसके पश्चात सुबह 8:00 बजे पंडित कोंडामचारुलु जी के नेतृत्व में भगवान वेंकटेश्वर स्वामी का अभिषेकम संपन्न हुआ। अभिषेकम में दूध, दही मधु, पंचामृत, गंगाजल और विभिन्न फलों के रस का उपयोग किया गया, जो दक्षिण भारतीय परंपराओं के अनुसार अत्यंत पवित्र और भक्तिमय अनुष्ठान है। वैदिक मंत्रों के बीच संपन्न इस अभिषेकम ने भक्तों के मन को भक्ति रस में डुबो दिया। पूजा-अर्चना के दौरान मंदिर का वातावरण भक्ति और आध्यात्मिकता से सराबोर रहा।
शाम की भव्य शोभा यात्रा: गरुड़ वाहन पर सवार भगवान का नगर भ्रमण
शाम 6:30 बजे भगवान वेंकटेश्वर स्वामी, जिन्हें भक्त प्रेम से बालाजी कहते हैं, गरुड़ वाहन पर सवार होकर नगर भ्रमण के लिए निकले। यह शोभा यात्रा मंदिर से शुरू होकर साकची होते हुए सिदगोड़ा बालाजी मंदिर पहुंची। भगवान की पालकी को गाजे-बाजे और आतिशबाजी के साथ भक्तों ने उत्साहपूर्वक स्वागत किया। आरती उतार कर पूजा कर भगवान के को समीप पाकर भक्त भाव विभोर हुए।शोभा यात्रा में भक्तों ने भक्ति भजनों और जयकारों के साथ भगवान की महिमा का गुणगान किया। नादेश्वरम के मधुर धुन और भक्ति संगीत ने माहौल को और भी भक्तिमय बना दिया।
शोभा यात्रा के दौरान भगवान की पालकी बीच-बीच में रुक-रुक कर भक्तों को दर्शन देती रही। भक्तों ने इसे अपने जीवन का सौभाग्य मानते हुए भगवान के दर्शन किए और उनकी कृपा प्राप्त करने की कामना की। भगवान की मनमोहक मूर्ति को देखकर भक्त भाव-विभोर हो उठे और कई ने इसे अपने जीवन का अविस्मरणीय क्षण बताया। शोभा यात्रा के समापन पर मंदिर में भव्य आरती का आयोजन हुआ, जिसमें भक्तों ने उत्साहपूर्वक हिस्सा लिया। आतिशबाजी और हर्षोल्लास के साथ भगवान का स्वागत किया गया, जिसने इस पवित्र अवसर को और भी यादगार बना दिया।
ब्रह्मोत्सव का महत्व और भक्तों का उत्साह
आंध्र भक्त श्री राम मंदिरम में आयोजित यह 56 वां ब्रह्मोत्सव भक्तों के लिए आध्यात्मिक उत्साह और भक्ति का प्रतीक है। प्रत्येक वर्ष भक्त इस उत्सव का बेसब्री से इंतजार करते हैं, क्योंकि यह अवसर उन्हें भगवान वेंकटेश्वर स्वामी के दर्शन और उनकी कृपा प्राप्त करने का सुअवसर प्रदान करता है। मंदिर समिति के एक सदस्य ने बताया, “यह उत्सव न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारी दक्षिण भारतीय सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को भी जीवंत रखता है। भगवान का नगर भ्रमण भक्तों को उनके करीब लाता है और समाज में एकता और भक्ति का संदेश देता है।
भक्तों की भावनाएं: एक अनुपम अनुभव
शोभा यात्रा में शामिल एक भक्त, शर्मा ने कहा, “भगवान बालाजी को गरुड़ वाहन पर सवार देखकर मन में अपार शांति और खुशी का अनुभव हुआ। यह मेरे लिए एक सौभाग्य का क्षण है कि मैं इतने करीब से भगवान के दर्शन कर पाया।” एक अन्य भक्तिन, लक्ष्मी देवी ने बताया, “ब्रह्मोत्सव का यह उत्सव हमारे लिए हर साल एक नई ऊर्जा और भक्ति का संचार करता है। भगवान की कृपा से हमारा जीवन धन्य हो जाता है।
आगामी आयोजन
ब्रह्मोत्सव के शेष दिनों में भी विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों और शोभा यात्राओं का आयोजन होगा, जिसमें भगवान वेंकटेश्वर स्वामी विभिन्न वाहनों पर सवार होकर भक्तों को दर्शन देंगे। कल 10 जून के शाम भगवान शेष वाहन पर सवार होकर गौरी मंदिर कीताडीह, एवं आंध्रा समिति बागबेड़ा जाकर भक्तों को दर्शन देंगे।। मंदिर समिति ने सभी भक्तों से इस पवित्र उत्सव में शामिल होने और भगवान की कृपा प्राप्त करने का आहवान किया है।
यह ब्रह्मोत्सव न केवल धार्मिक उत्सव है, बल्कि यह भक्तों के बीच एकता, भक्ति और सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतीक भी है। आंध्र भक्त श्री रामा मंदिर एक बार फिर भक्ति के रंग में रंगा हुआ है, और भक्तों का उत्साह इस उत्सव को और भी भव्य बना रहा है।
*जय श्री वेंकटेश्वर स्वामी!*