राज्य में पेसा कानून की उदासीनता पर पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने राज्य सरकार पर बोला हमला, पेसा कानून पर सीएम की चुप्पी पर उठाए सवाल, पूछा- किससे डर रहे मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन
पेसा कानून को लेकर झारखंड सरकार की उदासीनता पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुवर दास ने आज जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित चैंबर ऑफ कॉमर्स सभागार में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पेसा कानून को लागू करने में टालमटोल कर रही है जिससे वे माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना कर रही है, जो लोकतंत्र और संविधान के लिए अत्यंत चिंताजनक है

रघुवर दास का झारखंड सरकार पर हमला: पेशा कानून को लेकर लगाया टालमटोल का आरोप
जमशेदपुर- पेसा कानून को लेकर झारखंड सरकार की उदासीनता पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता रघुवर दास ने आज जमशेदपुर के बिष्टुपुर स्थित चैंबर ऑफ कॉमर्स सभागार में आयोजित संवाददाता सम्मेलन में तीखा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पेसा कानून को लागू करने में टालमटोल कर रही है जिससे वे माननीय उच्च न्यायालय के आदेश की भी अवहेलना कर रही है, जो लोकतंत्र और संविधान के लिए अत्यंत चिंताजनक है।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता रघुवर दास ने राज्य की मौजूदा महागठबंधन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार जानबूझकर पंचायत (अनुसूचित क्षेत्र विस्तार) अधिनियम (पेशा कानून) को लागू करने में टालमटोल कर रही है जिसमें उन्होंने झारखंड सरकार की नियत पर सवाल उठाते हुए कहा कि वह आदिवासी समाज के सशक्तिकरण और स्वशासन व्यवस्था को लागू करने के पक्ष में नहीं है।
श्री दास ने कहा कि भाजपा और समूचा विपक्ष लंबे समय से राज्य में पेशा कानून को लागू करने की मांग कर रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्ष 2023 में ही राज्य सरकार ने पेशा कानून को लेकर कई बैठकें आयोजित की थीं, जिसमें विशेषज्ञों और जनप्रतिनिधियों से सुझाव भी लिए गए थे। लेकिन इन सभी सुझावों और बैठकों को पिछले दो वर्षों से ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
उन्होंने कहा कि अब सरकार दोबारा सुझाव लेने और समीक्षा करने का “नाटक” कर रही है, जो सिर्फ दिखावा है। श्री दास का मानना है कि यदि स्वशासन व्यवस्था लागू नहीं की गई, तो 15वें वित्त आयोग से मिलने वाली एक बड़ी राशि, जो गांवों के विकास के लिए निर्धारित थी, वापस चली जाएगी यह स्थिति आदिवासी क्षेत्रों के विकास में बड़ी बाधा बन सकती है।
रघुवर दास ने कहा कि पेशा कानून आदिवासी समाज को उनके अधिकार लौटाने और ग्राम स्तर पर निर्णय लेने की शक्ति देने का एक अहम माध्यम है। इसे लागू करना न सिर्फ संवैधानिक दायित्व है, बल्कि सामाजिक न्याय की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।
उन्होंने कहा कि भाजपा इस मुद्दे को लेकर राज्यभर में बड़ा आंदोलन खड़ा करेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने समय रहते कोई ठोस कदम नहीं उठाया, तो विपक्ष व्यापक जनजागरण अभियान चलाकर जनता को सरकार की असफलताओं से अवगत कराएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने बताया कि 2024 में ही झारखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को दो माह के भीतर पेसा कानून लागू करने का निर्देश दिया था लेकिन एक साल बीत जाने के बाद भी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। परिणामस्वरूप अब माननीय उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार के मुख्य सचिव और पंचायती राज विभाग के प्रधान सचिव को अवमानना का नोटिस जारी किया है। उन्होंने कहा कि झारखंड की जनता यह जानना चाहती है कि आखिर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इतने कमजोर क्यों हैं। किससे डर रहे हैं। क्या आदिवासी मुख्यमंत्री होने का सिर्फ चुनावी इस्तेमाल किया गया। 2019 में ‘आबुआ राज’ और आदिवासी नेतृत्व के नाम पर वोट लिया गया, लेकिन अब जब पेसा कानून लागू करने का समय आया, तो सरकार चुप्पी साधे बैठी है।
इस दौरान रघुवर दास ने स्पष्ट किया कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के कार्यकाल में 2018 में ही पेसा नियमावली को लेकर 14 विभागों के सचिवों के साथ बैठक हुई थी और सभी तैयारियां पूरी की गई थीं लेकिन चुनाव और आचार संहिता के चलते प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी। उन्होंने यह भी बताया कि वर्तमान झामुमो-कांग्रेस सरकार ने 2023 में नियमावली का ड्राफ्ट तैयार कर आपत्तियां और सुझाव आमंत्रित किए थे, जिन्हें विधि विभाग और एडवोकेट जनरल ने वैध करार दिया है। अब सिर्फ इसे कैबिनेट में मंजूरी देना बाकी है। उन्होंने बताया कि अगर पेसा नियमावली लागू नहीं हुई तो 15वें वित्त आयोग की 1400 सौ करोड़ रुपए की राशि लैप्स हो जाएगी, जिसका सीधा नुकसान राज्य के गांवों को होगा। उन्होंने कहा कि पेसा कानून लागू होने से ग्राम सभा को खनिज, वनोपज, बालू घाटों, तालाबों की नीलामी और अन्य स्थानीय संसाधनों पर कानूनी और आर्थिक अधिकार मिलेगा, जिससे गांवों की अर्थव्यवस्था सशक्त होगी।
उन्होंने कहा कि पेसा कानून भारत के उन राज्यों में लागू होता है जहां पाँचवीं अनुसूची के तहत अनुसूचित क्षेत्र घोषित हैं। ऐसे कुल 10 राज्य हैं। जिसमें 8 राज्यों में पेसा कानून लागू हो चुका है जबकि केवल दो राज्य ओडिशा और झारखंड बचे हैं। रघुवर दास ने कहा कि ओडिशा में 27 वर्षों से बीजेडी की सरकार थी और वहां पेसा कानून लागू नहीं किया। झारखंड में 6 साल से आदिवासी मुख्यमंत्री हैं, पर यहां भी पेसा कानून सिर्फ फाइलों में दबी है।
श्री दास ने कहा कि पेसा कानून आर्थिक सशक्तिकरण के साथ झारखंड की सांस्कृतिक विरासत और आदिवासी परंपराओं की रक्षा का एक सशक्त औजार है। उन्होंने कहा कि आज आदिवासी संस्कृति पर चौतरफा हमला हो रहा है। पेसा कानून लागू होने से मांझी, परगना, पहान, मानकी-मुंडा जैसे पारंपरिक जनप्रतिनिधियों को उनका अधिकार मिलेगा और धर्मांतरण व बाहरी हस्तक्षेप पर भी लगाम लगेगी।
पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने आरोप लगाया कि पेसा कानून को रोकने में विदेशी धर्म प्रचारक संस्थाओं की भूमिका रही है, जिन्होंने 2010 से 2017 तक इस कानून के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट और हाईकोर्ट में मुकदमे किए थे। उन्होंने स्पष्ट किया कि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया है कि झारखंड में सिर्फ पांचवीं अनुसूची ही लागू होगी, न कि छठी अनुसूची।
उन्होंने मुख्यमंत्री से सवाल किया कि जब हमारे आदिवासी पूर्वज अंग्रेजों से नहीं डरे, तो वे किससे डर रहे हैं। सत्ता आती-जाती रहती है, लेकिन आदिवासी समाज की संस्कृति और अधिकार की रक्षा सर्वोपरि है।
संवाददाता सम्मेलन में पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने पेसा कानून के साथ-साथ शेड्यूल एरिया में थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नौकरियों में स्थानीय युवाओं के लिए 10 वर्षों तक आरक्षण की पुरानी व्यवस्था को भी पुनः लागू करने की मांग की। उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार ने यह व्यवस्था शुरू की थी, जिससे लाखों स्थानीय युवाओं को रोजगार मिला था, लेकिन वर्तमान सरकार ने हाईकोर्ट में एफिडेविट देकर इसे खुद ही गलत ठहराया और 60-40 की नीति लागू कर दी।
उन्होंने राज्यपाल से मुलाकात और राज्य सरकार को भेजे गए पत्र का हवाला देते हुए कहा कि जब राज्यपाल और हाईकोर्ट जैसे संवैधानिक संस्थान बार-बार सरकार को आदेश दे रहे हैं, तब भी सरकार क्यों चुप है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर जल्द ही पेसा कानून लागू नहीं किया गया, तो भाजपा राज्यव्यापी आंदोलन करने से पीछे नहीं हटेगी।
उन्होंने कहा कि पेसा कानून लागू करने से धर्म परिवर्तन रुक जाएगा। आदिवासियों को झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस केवल वोटर समझती है। ग्राम सभा को संवैधानिक अधिकार मिलने के बाद वह आर्थिक रूप से मजबूत होगा इसके लिए पेसा कानून लागू करना जरूरी है
उन्होंने कहा कि जब पेसा कानून करने लागू करने का आदेश सुप्रीमकोर्ट ने दे दिया है, तो हेमंत सरकार क्यों डर रही है, क्यों पीठ दिखा रही है? इसके लिए उन्होंने एक बैठक भी की थी, जिसमें क्रिश्चियन समुदाय को बुलाया गया था, लेकिन आदिवासियों को नहीं बुलाया गया। झारखंड में भारी षड्यंत्र चल रहा है।
उन्होंने कहा कि हमने संकल्प लिया है कि संथाल के सभी गांव में चौपाल लगाऊंगा। अब तक 5 साल में संथाल में 358 चौपाल लगा चुका हूं। दुमका में 138, 15 चौपाल साहिबगंज, गोड्डा में लगा चुका हूं। मेरा केवल एक सूत्री कार्यक्रम है आदिवासी समाज को जगाना
उन्होंने कहा कि सीएनटी एक्ट से भी कड़ा कानून एसपीटी एक्ट में है लेकिन मुख्यमंत्री की विधानसभा क्षेत्र में भी अवैध घुसपैठ हो रही है। यहां भी योगी जी की बुलडोजर की जरूरत है।
रघुवर दास ने कहा कि सरना कोड को लेकर 2013 में संसद में सुदर्शन भगत ने प्रश्न पूछा था, उस समय केंद्र और राज्य में कांग्रेस की सरकार थी। सरना को देश में लागू करना अव्यावहारिक होगा, ऐसा उत्तर दिया गया। कांग्रेस और झारखंड मुक्ति मोर्चा जानती है कि सरना कोड लागू नहीं होगा।
रघुवर दास ने कहा कि सत्ता आती, है जाती है। मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा था कि झारखंड मुक्ति मोर्चा आदिवासियों की पार्टी है, मेरे रहते आदिवासियों का कोई बाल भी बांका नहीं कर पाएगा, तो फिर किस बात का डर लग रहा है। जो वह पेसा कानून लागू नहीं कर रहे हैं।