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साहित्यिक समूह ‘फुरसत में’के लिए एक विशेष और ऐतिहासिक दिन था।हमारी स्थापना का दसवां वर्ष जिसे हमने मौसम की नाराज़गी के बावजूद पूरे हर्षोल्लास एवं उत्साह के साथ मनाया गया

यह हमारा छोटा सा परिवार अपने छोटे से कलेवर में बहुत कुछ कर जाता है।हमारे सभी सदस्य प्रतिभावान, सशक्त सृजनकार भी हैं।यहां कविता संवरती है तो कहानियां गढी जाती हैं,लोकगीत के स्वर गूंजते हैं तो वीणापाणि मां सरस्वती की वंदना के गीत भी अपने जीवन के सुख दुःख भी हमने मिलकर बांटे हैं,कभी खुशियां मनायी तो कभी सबके सुसवास्थय के लिए हनुमान चालीसा भी पढी है

जमशेदपुर- स्थापना दिवस पर कल साहित्यिक समूह ‘फुरसत में’के लिए एक विशेष और ऐतिहासिक दिन था स्थापना का दसवां वर्ष जिसे मौसम की नाराज़गी के बावजूद पूरे हर्षोल्लास एवं उत्साह के साथ मनाया गया

यह छोटा सा परिवार अपने छोटे से कलेवर में बहुत कुछ कर जाता है इसके सभी सदस्य प्रतिभावान, सशक्त सृजनकार भी हैं।यहां कविता संवरती है तो कहानियां गढी जाती हैं,लोकगीत के स्वर गूंजते हैं तो वीणापाणि मां सरस्वती की वंदना के गीत भी अपने जीवन के सुख दुःख भी हम लोगों ने मिलकर बांटे हैं,कभी खुशियां मनायी तो कभी सबके सुस्वास्थ्य के लिए हनुमान चालीसा भी पढी है। वरिष्ठ ममतामयी आनंद बाला के द्वारा 7 अप्रैल 2015 को रोपा गया इस समूह का बिरवा आज पुष्पित पल्लवित होकर छतनार बन चुका है मात्र सात सदस्यों से शुरू होकर आज 15 की संख्या में हैं और जैसा कि सरिता दीदी ने कहा था कि हमें बोनसाई होकर काम करना है अर्थात गागर में सागर की तरह साहित्य संस्कृति और सृजन को गरिमामय स्वरुप प्रदान करना है।आनंद बाला दीदी ने अपने आशीर्वाद के साथ बधाई देते हुए यह भरोसा भी जताया कि अब यह समूह निरंतर आगे बढता रहे येही कामना है उनकी यह श्वास हम प्राण पण से निभायेंगे दीदी। शाम चार बजे से आरंभ यह कार्यक्रम सरिता दीदी के आवास शारदा कुंज,सर्किट हाउस में आयोजित था।सर्वप्रथम मां सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर वीणा पाण्डेय के द्वारा सरस्वती वंदना प्रस्तुत की गयी,तत्पश्चात सरित दीदी ने अतिथियों का स्वागत किया।अनेक उत्कृष्ट कविताएं भी पढी गई। पुणे से वरिष्ठ सदस्य किरण सिन्हा की फुरसत में को समर्पित रचना इंदिरा जी की शुभकामनायें तथा अहमदाबाद से उमा सिंह की लगातार रचनात्मक एवं स्नेहिल उत्साह वर्धन छाया दीदी रेणु दीदी सुस्मिता, मीनाक्षी, मनीला माधुरी मिश्रा, अनीता निधि, सरिता सिंह, आनंद बाला दी,और मैने भी रचनायें पढीं।इस अवसर पर सदस्यों को उनकी सक्रिय योगदान और सहयोग के लिए डा मनीला,डा मीनाक्षी एवं रेणुबाला मिश्रा दीदी को भी सम्मानित किया गया। इस दिन को.स्मरणीय बनाने के लिए केक काटा गया और सुस्वादु,मधुर मिष्ठान्न के साथ यह पारिवारिक मिलन समारोह की समाप्ति हुई। आप सबका आना और अपनी स्नेहिल सक्रियता से इसे एक उत्सव बना देना बहुत अच्छा लगा। हमें संख्या बल नहीं सृजन बल चाहिए। हमारा आनंद बाला दीदी सरित दीदी,छाया दीदी तथा रेणु दीदी का यह विश्वास कायम रहे ,हम एक रहें ,सृजन करती रहें,येही कामना करती हूं।
ईश्वर को कोटि कोटि धन्यावाद कि जो बहनें अस्वस्थ थीं वे भी स्वस्थ्य होकर शामिल हुई।
हमारे विशिष्ट अतिथि गण जवाहरलाल शर्मा तथा अंशु प्रसाद का हार्दिक स्वागत और अभिनंदन जिन्होनें अपने आशिर्वाद एवं प्रेरक वक्तव्य से हमें प्रेरणा प्रदान कर उर्जस्वित किया और अनेक बहुमूल्य सुझाव भी दिए।

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