कुंभ मेले पर विशेष आस्था और विश्वास के विषय पर कुछ बोला नहीं जाता- सुनील कुमार दे
देवताओं द्वारा अमृत पान के समय भारत के चार जगह पर अमृत का बूंद गिरी थी उसमें से हरिद्वार,प्रयाग,नासिक और उज्जैन है हरेक 12 वर्ष में उसी चार जगह पर कुंभ मेला का आयोजन होता है

कुंभ मेले पर विशेष आस्था और विश्वास के विषय पर कुछ बोला नहीं जाता- सुनील कुमार दे
हमारे धर्म प्रधान भारत में विगत 13 जनवरी 2025 से प्रयाग राज में महाकुंभ चल रहा है कुंभ में श्रद्धालुओं की भीड़, उमंग,उत्साह,आस्था देखकर पूरे विश्व हैरान और परेशान है कुछ दिनों से मेरे मन में इस अदभुत अकल्पनीय, अवर्णनीय कुंभ मेले के बारे कुछ लिखने का मन कर रहा था इसलिए आज कलम पकड़ ही लिया
पौराणिक कथा अनुसार समुद्र मंथन में 14 तत्व निकला था उसमें एक तत्व अमृत भी था देवताओं द्वारा अमृत पान के समय भारत के चार जगह पर अमृत का बूंद गिरी थी उसमें से हरिद्वार,प्रयाग,नासिक और उज्जैन है हरेक 12 वर्ष में उसी चार जगह पर कुंभ मेला का आयोजन होता है कुंभ मेले का मुख्य उद्देश्य अमृत स्नान ही है गंगा यमुना और सरस्वती का मिलन स्थान को त्रिवेणी संगम कहा जाता है इसी संगम में स्नान करने की विधि है प्रचलित है कि कुंभ योग में स्नान करने से सभी प्रकार का पाप नष्ट होता है और मुक्ति मिलती है आस्था और विश्वास के ऊपर कुछ कहा नहीं जा सकता है चाहे कोई भी धर्म हो सभी आस्था और विश्वास के ऊपर टिकी हुई है इसलिए इस पर टीका टिप्पणी और गलत मन्तव्य करना अनुचित है धर्म और ईश्वर को नहीं मानने वाले कुछ लोग कहते हैं यह सब दिखावा और ढोंग है, कुंभ स्नान करने से न कोई पाप खत्म होता है न मुक्ति मिलती है अच्छा काम करने से ही अच्छा फल मिलता है।कुंभ स्नान करने से पाप जाता है अथवा नहीं और मुक्ति मिलती है अथवा नहीं यह तर्क का विषय है और धर्म और ईश्वर तर्क से परे है कुम्भ स्नान करने से मन को शांति मिलती है, मन में भक्ति जागृत होती है, पवित्रता का संचार होता है यह तो मानना ही पड़ेगा।अगर कुंभ में कुछ नहीं है तो लोग इतना दुःख, तकलीफ और कष्ठ झेलकर क्यों जाते हैं।इसका जवाब नहीं है।144 साल बाद प्रयाग राज में महाकुंभ का यह संयोग चल रहा है 13 जनवरी से और समापन होगा 26 फरवरी 2025 को।इस बार की कुंभ मेला सारे रिकॉर्ड तोड़ दी है।लाखों में नहीं करोड़ो में जन सैलाब जिसका अंदाजा लगाया नहीं जा सकता है मानो की सारा विश्व प्रयागराज के कुंभ मेले में ठहर गया है।सरकार की तरफ से सारे व्यवस्था की गई है श्रद्धालुओं के लिए तब पर भी कुछ लोग तारीफ और सहयोग के बदले कमियां और खामियां खोज रहे हैं सरकार को बदनाम करने की कोशिश हो रही है।हुजुग,जुलुन और लापरवाही के कारण कुछ अप्रिय घटना भी घट रही है, कुछ लोग जान भी गबाये है और यह स्वाभाविक भी है जहां पर अनियंत्रित भीड़ होगी तो वहां पर दुर्घटना घटना स्वाभाविक है।इसके लिए पुलिस, प्रशासन और जनता को भी सचेत रहना जरूरी है।लोग जानते हैं भीड़ में कष्ट और तकलीफ है तब पर भी लोग जा रहे हैं यही आस्था है, यही विश्वास है यही सनातनी परंपरा है जिसके आगे मृत्यु भय भी नगण्य है
किसी को कोई निमंत्रण नहीं दे रहा है तब पर भी लोग जा रहे हैं यही भारतीय सनातनी संस्कृति है जिसको कोई मिटा नहीं सकते।मेले में लाखों करोड़ों साधु संत,महात्मा,महापुरुष, भक्त को देखने को मिल रहा है जो दुर्लभ है।इतने पुण्यात्माओं का मिलन यह अद्भुत और अकल्पनीय है।उस पवित्र रज के ऊपर प्राण भी चला जाय तब पर भी मंजूर है यह भक्त की भावना है।क्योंकि एक दिन तो सभी को मरना ही है तब मृत्यु मय क्यों।अच्छे काम कर के और अच्छे जगह पर मरो यही सनातनी भावना है।इस बार कुंभ मेले में सनातनी श्रद्धालुओं का जो हुजुग,जुलुन,उत्साह,उमंग और आकर्षण देखा गया यह अवर्णनीय है।जिस पुण्य आत्मायें को कुंभ स्नान करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है वह धन्य है और जिसको नहीं मिला वह अपने अपने घर में बैठकर टीवी और मोबाइल के माध्यम से इसका आनंद ले।
भक्ति से सब कुछ मिलती है, सब कुछ मन की भावना है।आस्था और विश्वास से सब कुछ प्राप्त होता है इसलिए कोई भी व्यक्ति किसी की आस्था और विश्वास पर टिका टिप्पणी और आघात न करें।इसलिए
कहा गया है,, मानो तो भगवान नहीं तो पत्थर है
हर हर महादेव। हरहर गंगे।