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सर्वोच्च न्यायालय में इंडस्ट्रियल टाउन के खिलाफ कोई याचिका दायर नहीं की गयी – निशांत अखिलेश

झारखंड सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 Q और झारखंड म्युनिसिपल अधिनियम, 2011 की धारा 481 का उल्लंघन कर जमशेदपुर के 15480 एकड़ क्षेत्रफल के समूचे स्थानीय निकाय को ही इंडस्ट्रियल टाउन घोषित कर दिया है

सर्वोच्च न्यायालय में इंडस्ट्रियल टाउन के खिलाफ कोई याचिका दायर नहीं की गयी थी- निशांत अखिलेश

जमशेदपुर- जमशेदपुर से प्रकाशित एक हिन्दी दैनिक समाचारपत्र में एक खबर छपी है कि सर्वोच्च न्यायालय में ‘जमशेदपुर को इंडस्ट्रियल टाउन बनाने के खिलाफ दायर याचिका खारिज कर दी गई है जब कि याचिकाकर्ता के अधिवक्ता निशांत अखिलेश ने कहा कि मैं अधिवक्ता हूँ और सर्वोच्च न्यायालय में मैंने ही बहस किया है अतः मैं गम्भीरता पूर्वक इस समाचार का खंडन करता हूं ऐसा लगता है कि इंडस्ट्रियल टाउन के पक्षकारों ने अपने निहित स्वार्थों की रक्षा के लिए एक  हिन्दी दैनिक जैसे प्रतिष्ठित समाचारपत्र में यह भ्रामक और झूठा समाचार छपवाया है  सबसे पहले मैं यह स्पष्ट करना चाहता हूँ कि सर्वोच्च न्यायालय में इंडस्ट्रियल टाउन के खिलाफ कोई याचिका दायर नहीं की गयी थी इंडस्ट्रियल टाउन बनाने के लिए झारखंड सरकार के .12.2023 के नोटिफिकेशन के खिलाफ याचिका उच्च न्यायालय झारखंड में लगायी गयी है उच्च न्यायालय ने 6.9.2024 के आदेश में इस बात को स्वीकार किया है कि झारखंड सरकार ने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 Q और झारखंड म्युनिसिपल अधिनियम, 2011 की धारा 481 का उल्लंघन कर जमशेदपुर के 15480 एकड़ क्षेत्रफल के समूचे स्थानीय निकाय को ही इंडस्ट्रियल टाउन घोषित कर दिया है जबकि कानूनन स्थानीय निकाय से इंडस्ट्रियल टाउन के लिए एक छोटे क्षेत्र को निकाल कर इंडस्ट्रियल टाउन बनाया जाता है
ज्ञातव्य है कि संविधान के अनुच्छेद 243 Q के तहत राज्यपाल को समूचे स्थानीय निकाय (15480 एकड़ क्षेत्रफल) को ट्रांजिशनल एरिया, स्मालर अर्बन एरिया या लार्जर अर्बन एरिया घोषित करना था जिसे राज्यपाल ने घोषित नहीं किया यह भी ज्ञातव्य है कि जिस अर्बन एरिया की आबादी 300000 लाख से ज्यादा होती है उसमें म्युनिसिपल काॅरपोरेशन बनाने की संवैधानिक व्यवस्था है
उच्च न्यायालय झारखंड ने अपने 13.9.2024 के आदेश में सर्वोच्च न्यायालय में विचाराधीन एक रिट संख्या 549 of 2018 में 13.7.2018 के एक आदेश का हवाला देते हुए कहा कि जवाहरलाल शर्मा बनाम झारखण्ड सरकार का मामला सर्वोच्च न्यायालय में लंबित है जिसमें सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि ‘अगर झारखंड सरकार इंडस्ट्रियल टाउन की घोषणा करती है तब सर्वोच्च न्यायालय इंडस्ट्रियल टाउन की संवैधानिकता की जांच करेगी इसलिए अब रिट पिटीशन 2636 of 2024 की सुनवाई सर्वोच्च न्यायालय द्वारा रिट संख्या 549 of 2018 की सुनवाई पूरी कर आदेश पारित करने के बाद होगी
सौरव विष्णु ने उच्च न्यायालय के उक्त आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में एक एसएलपी दायर कर गुहार लगाई कि सर्वोच्च न्यायालय या तो उच्च न्यायालय को सुनवाई करने के लिए निर्देश दे या उनके एसएलपी को सुप्रीमकोर्ट में दायर जवाहरलाल शर्मा के विचाराधीन पिटीशन के साथ टैग कर दे
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एक ही मामले में दो पिटीशन की जरूरत नहीं है

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