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शिक्षा में बहु भाषावाद को बढ़ावा दे रहा टाटा स्टील फाउंडेशन अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

टाटा स्टील के फेरो एलॉयज एंड मिनरल्स डिवीजन (एफएएमडी) के एक्जीक्यूटिव इंचार्ज पंकज सतीजा ने कहा, "भाषा और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक हैं और किसी भी समाज की मूलभूत संरचना का हिस्सा हैं। समृद्ध भाषाओं के बिना एक प्रगतिशील समाज की कल्पना अधूरी रह जाती है

शिक्षा में बहु भाषावाद को बढ़ावा दे रहा टाटा स्टील फाउंडेशन अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस

सुकिंदा-  अंतरराष्ट्रीय मातृभाषा दिवस की पच्चीसवीं वर्षगांठ के अवसर पर, टाटा स्टील फाउंडेशन ने शिक्षा में बहु भाषा वाद को बढ़ावा देने के लिए एक विशेष परिचर्चा का आयोजन किया। टाटा स्टील के सुकिंदा क्रोमाइट माइन कैंपस स्थित सबल केंद्र में स्थानीय शिक्षकों के साथ आयोजित इस कार्यक्रम में भाषाई विविधता के संरक्षण और समावेशी शिक्षा प्रणाली के महत्व पर गहन चर्चा हुई। इस पहल का उद्देश्य छात्रों को उनकी मातृभाषा में सीखने का अवसर देना और बहुभाषी शिक्षा के जरिए समग्र विकास को प्रोत्साहित करना है

इस सत्र में स्थानीय क्षेत्र के करीब 30 स्कूल शिक्षक जिनमें कालिया पानी, रंसोल, कंसा और चिंगुदी पाल पंचायतों के शिक्षक शामिल थे, ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। उन्होंने कक्षा शिक्षण में बहु भाषावाद को प्रभावी रूप से लागू करने पर विचार-विमर्श किया विशेषज्ञों और शिक्षकों ने साझा किया कि कैसे बहुभाषी शिक्षा न केवल छात्रों की सीखने की क्षमता को बढ़ाती है बल्कि उनकी सांस्कृतिक जड़ों को भी मजबूत करती है। सत्र में खदान परिसर स्थित स्टुअर्ट स्कूल, सरस्वती शिशु विद्या मंदिर और श्रम शक्ति हाई स्कूल के शिक्षक भी शामिल हुए। उनकी सक्रिय भागीदारी ने चर्चा को और समृद्ध बनाया

इस अवसर पर टाटा स्टील के फेरो एलॉयज एंड मिनरल्स डिवीजन (एफएएमडी) के एक्जीक्यूटिव इंचार्ज पंकज सतीजा ने कहा, “भाषा और संस्कृति एक-दूसरे के पूरक हैं और किसी भी समाज की मूलभूत संरचना का हिस्सा हैं। समृद्ध भाषाओं के बिना एक प्रगतिशील समाज की कल्पना अधूरी रह जाती है।”इस पहल के माध्यम से, हमारा उद्देश्य बहुभाषी शिक्षण पद्धतियों को प्रोत्साहित करना है, जिससे न केवल छात्रों को लाभ मिले, बल्कि भाषाई विविधता भी सशक्त हो

इस सत्र ने समग्र शिक्षा और समुदाय के विकास के प्रति टाटा स्टील फाउंडेशन की प्रतिबद्धता को और मजबूत किया। बहुभाषी शिक्षा को बढ़ावा देकर फाउंडेशन न केवल स्थानीय भाषाओं के संरक्षण में योगदान दे रहा है, बल्कि समावेशी शिक्षण पद्धतियों को भी प्रोत्साहित कर रहा है।

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