घाघीडीह केन्द्रीय कारागृह में कार्यक्रम कारागृह से बुरे संस्कारों को परिवर्तन करके जाना है-भगवान भाई
कारागृह के इस एकांत स्थान पर बैठकर स्वयं को परिवर्तन करने के लिए सोचो कि मैं इस संसार में क्यों आया हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या हैं, मुझे परमात्मा ने किस उद्देश्य से यहां भेजा है? मैं यहां आकर क्या कर रहा हूं

घाघीडीह केन्द्रीय कारागृह में कार्यक्रम कारागृह से बुरे संस्कारों को परिवर्तन करके जाना है-भगवान भाई
जमशेदपुर- यह कारागृह नहीं बल्कि सुधारगृह है इसमें आपको स्वयं में सुधार लाने हेतु रखा हुआ है शिक्षा देने हेतु नहीं। इस कारागृह को संस्कार परिवर्तन का केंद्र बना लो । इस में एक दुसरे से बदला लेने के बजाए स्वयं को बदलना है बदला लेने से समस्या और ही बद से बद्तर हो जाती है कारागृह के इस एकांत स्थान पर बैठकर स्वयं को परिवर्तन करने के लिए सोचो कि मैं इस संसार में क्यों आया हूं? मेरे जीवन का उद्देश्य क्या हैं, मुझे परमात्मा ने किस उद्देश्य से यहां भेजा है? मैं यहां आकर क्या कर रहा हूं। ऐसी बातों का चिंतन करने से संस्कार, व्यवहार परिवर्तन होगा। यह कारागृह आपके जीवन को सुधार लाने हेतु तपोस्थल है। उक्त उदगार माउंट आबू राजस्थान से प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्व विद्यालय से आये हुए ब्रह्माकुमार भगवान भाई ने कहे | वे घाघीडीह केन्द्रीय कारागृह (जेल) , में बंद कैदियों को कर्म गति और व्यवहार शुद्धि विषय पर बोल रहे थे
भगवान भाई ने बंदी भाइयों को कहा कि बदला लेने के बजाय स्वयं को ही बदलकर दिखाने की प्रवृति रखनी है। उन्होंने कहा कि हम किसके बच्चे हैं जिस परमात्मा के हम बच्चे हैं, वह तो शांति का सागर दयालू, कृपालू, क्षमा का सागर है। हम स्वयं को भूलने से ऐसी गलतियां कर बैठते हैं। उन्होंने कहा कि हम ऐसा कोई कर्म ना करें जिस कारण धर्मराज पूरी में हमें सिर झुकाना पडे, पछताना पडे, रोना पडे। स्वयं के अवगुण या बुराईयां हैं उसे दूर भगाना है ईर्ष्या करना, लड़ना, झगड़ना, चोरी करना, लोभ, लालच, यह तो हमारे दुश्मन हैं। जिसके अधीन होने से हमारे मान, सम्मान को चोट पहुंचती हैं। जिस भूलो के कारण हम यहां आये हैं उस भूलो और बुराईयां दूर करना है तो हमारे अंदर की अपराधिक प्रवृति में परिवर्तन आएगा । इन अवगुणों ने और बुराईयों ने हमें कंगाल बनाया इससे दूर रहना है जीवन में नैतिक मूल्यों की धारणा करने की आवश्यकता है। जीवन में सदगुण न होने के कारण ही समस्याएं पैदा होती है
उन्होंने कहा कि मनुष्य का जीवन बड़ा अनमोल होता है। उसे व्यर्थ कर्म कर व्यर्थ ऐसा ही नहीं गंवाना चाहिए। मजबूरी को परीक्षा समझकर उसे धैर्यता और सहनशीलता से पार करना है तो अनेक दुख और धोखे से बच सकते हैं। जीवन में परिवर्तन लाकर श्रेष्ठ चरित्रवान बनने का लक्ष्य रखना है। तब कारागार आपके लिए सुधारगृह साबित होगा। हमारे जीवन से काम ,क्रोध,लोभ ,मोह अहंकार, इर्ष्या, नफरत आदि बुराई को अपने जीवन से खदेड़ कर हमें अपने आंतरिक बुराईयों को निकालना है
स्थानीय ब्रह्माकुमारीज राजयोग सेवा केंद्र परसुडीह की प्रभारी बी के रेनू बहन ने सभी कैदी बंधुओं को स्वस्थ, सुखी और अपराधमुक्त बनने की शुभ कामना दिया और सभी बंदियों को प्रसाद और आध्यात्मिक साहित्य वितरण किया
स्थानीय ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के राजयोग शिक्षिक बी के जितेन भाई ने भगवान भाई का परिचय देते हुए कहा कि भगवान भाई ने 5000 से अधिक स्कुलों में और 800 से अधिक जेलों (कारागृह) में नैतिक शिक्षा का पाठ पढाया है जिस कारण उनका नाम इण्डिया बुक ऑफ़ रिकार्ड में दर्ज हुआ है उन्होंने ने भी अपना उदबोधन दिया और कहा की जब तक जीवन में आध्यात्मिकता नही है तब तक जीवन में नैतिकता नही आती है
जेल अधीक्षक ने बताया कि बताई बातों को अपने जीवन में प्रयोग करोगे तो अवश्य ही आप बुरी आदतों को छोड दोगे तथा अपने आप अच्छा सोचने लगेंगे और जेल से छुटने के बाद अच्छे नागरिक की तरह जीवन यापन करेंगे। अंत में उन्होंने ब्रह्माकुमारीज संस्था के ऐसे कार्यक्रमों के लिए धन्यवाद किया
कार्यक्रम के अंत में अपराध मुक्त बनने,मनोबल बढाने ,बुरी आदतों को छोड़ने और संस्कार परिवर्तन के लिए भगवान भाई ने कॉमेंट्री द्वारा मेडिटेश राजयोग कराया
कार्यक्रम में बी के चक्रधरपुर सेवाकेंद्र कि प्रभारी बहन बी के दीपेश भाई , बी के संजीव भाई भी उपस्थित थे
यह कार्यक्रम ब्रह्माकुमारी सेवाकेंद्र कि वरिष्ठ राजयोग शिक्षिका प्रभारी बी के रागिनी दीदी के शुभ कामाना से सम्पन्न हुआ
कार्यक्रम में सभी बंदियों ने राजयोग ध्यान साधना किया और प्रवचन सुनकर अनुभव किया जिससे जेल का पूरा वातावरण भक्तिमय हो गया